आजादी के 77 साल बाद भी सार्वजानिक श्मशान नहीं होने के कारण निजी जमीन पर अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर ग्रामीण
भरतपुर (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) आजादी के 77 साल बाद भी बयाना उपखंड की ग्राम पंचायत बीरमपुरा के गांव नगला सेवा कुलवारिया के ग्रामीणों को गांव में सार्वजानिक श्मशान नहीं होने के कारण मृतकों का अंतिम संस्कार खुद की निजी जमीन पर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन गुरुवार को ग्रामीण उस समय आक्रोशित हो उठे, जब एक बुजुर्ग महिला गंगादेवी पत्नी धनीराम कोली की मौत होने के बाद उसकी खुद की जमीन नहीं होने से अंतिम संस्कार के लिए महिला का शव करीब 16 घंटे तक रखा रहा।
ग्रामीणों ने श्मशान गृह नहीं होने पर अंतिम संस्कार में आने वाली दिक्कतों को लेकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ रोष जताया। ग्रामीणों ने श्मशान गृह के अभाव में अंतिम संस्कार नहीं होने की बात कलेक्टर तक पहुंचाई। इसके बाद राजस्व निरीक्षक और पटवारी मौके पर पहुंचे। लेकिन अंतिम संस्कार के लिए कोई भी सरकारी जमीन चिह्नित नहीं हो सकी। इसके बाद थक-हारकर दोपहर करीब 2 बजे परिजनों ने अपने मकान के पीछे स्थित आबादी हिस्से में खाली पड़े एक प्लॉट में मृतका का दाह संस्कार किया।
ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के करीब 8 दशक बाद भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। जानकारी में होने के बावजूद सरकार प्रशासन में बैठे लोग अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं। इस संबंध में एसडीएम दीपक मित्तल का कहना है कि गांव में श्मशान भूमि नहीं होने का मामला आज ही उनकी जानकारी में आया है। जिला कलेक्टर की जन सुनवाई के दौरान ग्रामीणों ने समस्या बताई है। जल्द ही श्मशान गृह के लिए चिह्नित कर जमीन आवंटित कराई जाएगी।