खरमास 15 दिसंबर से , क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य?
हिंदू धर्म में खरमास को एक विशेष महत्व दिया जाता है। यह साल में एक बार आने वाला ऐसा समय होता है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इस अवधि को खरमास कहते हैं।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि खरमास इस साल 15 दिसंबर, रविवार से शुरू होने जा रहा है। और 14 जनवरी, 2025 को समाप्त होगा। खरमास के दौरान सूर्य की गति धीमी हो जाती है ।और इस कारण शुभ कार्यों के लिए यह समय प्रतिकूल माना जाता। इस दौरान शादी-विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य मांगलिक कार्य करने से बचा जाता है। मान्यता है कि खरमास में किए गए शुभ कार्य सफल नहीं होते हैं। इसलिए, इस अवधि में लोग धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ और दान आदि पर अधिक ध्यान देते हैं।
खरमास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य?
खरमास शब्द में खर का अर्थ होता है गधा (गर्दभ) और मास का अर्थ होता है महीना। खरमास का शाब्दिक अर्थ है 'गर्दभ का महीना'। शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य देव बृहस्पति ग्रह की राशियों, धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तो वे अपने गुरु की सेवा में लग जाते हैं। इस अवधि के दौरान सूर्य देव की ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है।
सूर्य की कमजोरी के कारण बृहस्पति ग्रह का प्रभाव भी कम हो जाता है। शुभ कार्यों के लिए सूर्य और बृहस्पति दोनों ग्रहों का मजबूत होना आवश्यक माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की कमजोरी के कारण मांगलिक कार्य सफल नहीं होते हैं। और यही वजह है कि खरमास में मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है
इस अवधि में सूर्य की तीव्रता कम हो जाती है और पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रभाव कमजोर पड़ जाता है। सनातन धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए सूर्य की कमजोर स्थिति को अशुभ माना जाता है और इस दौरान मांगलिक कार्य करने से बचा जाता है।
- कमलेश जैन