दो दिवसीय उद्यानिकी सेमिनार का हुआ आयोजन
कार्यालय उप निदेशक उद्यान अलवर द्वारा दो दिवसीय जिला स्तरीय सेमीनार का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र नौगांवा अलवर में किया गया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर बलराज सिंह, कुलपति जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय ने सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया गया। के एल मीणा उप निदेशक उद्यान अलवर द्वारा सभी अतिथियों तथा आगंतुक किसान भाइयों का स्वागत और अभिनन्दन करते हुए दो दिवसीय सेमीनार के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। मुख्य अतिथि प्रोफेसर बलराज सिंह, कुलपति ने किसानों को बताया कि आजकल हाइटेक उद्यानिकी का जमाना आ गया है, इसलिए किसान भाई खेती के पुराने तरीकों को छोड़कर एग्रो टूरिज्म, होर्टी टूरिज्म, ग्रीन हाउस में कट फ्लोवर्स इत्यादि की खेती करें और अपनी खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें तो निश्चित रूप से फायदा मिलेगा। उन्होंने किसान भाइयों से निवेदन किया कि अलवर जिले में प्याज़ के साथ साथ लहसुन तथा आलू की खेती भी शुरू करनी चाहिए। इसके अलावा आजकल मधुमेह, रक्तचाप, तनाव इत्यादि बीमारियों के बढ़ते से खाने में गेंहू की बजाय ज्वार की ज्यादा मांग होने लगी है, ज्वार की खेती करने पर दाने के साथ साथ चारा भी मिलेगा। जौ की खेती भी हमारे लिए लाभदायक साबित हो सकती है। प्रोफेसर बलराज सिंह ने कृषि तथा उद्यानिकी उपज का मूल्य संवर्धन करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि किसान भाई नई--नई फसलों और तकनीकों को अपनाएं, अगर कोई समस्या आती है तो उसके समाधान करने के लिए हम वैज्ञानिक लोग बैठे हुए हैं। योगेश कुमार शर्मा संयुक्त निदेशक उद्यान भरतपुर ने किसान भाइयों से अपील की कि बदलते समय में हमें अपने खेती करने के तौर-तरीकों में भी बदलाव लाना पड़ेगा। अब समय आ गया है कि हम परंपरागत फसलों को छोड़कर उद्यानिकी फसलों को अपनाएं और उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ें। आज-कल सब्जियों की खेती तथा फल बगीचों से अच्छी कमाई हो रही है और सैकड़ों किसान इनसे लाभ प्राप्त कर रहे हैं। के सी मीणा अतिरिक्त निदेशक उद्यान जयपुर ने किसानों को उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे सोलर पंप सेट, ग्रीन हाउस, नेट हाउस, लो टनल, मल्चिंग, बूंद बूंद सिंचाई योजना, फल बगीचों की स्थापना इत्यादि की जानकारी देते हुए कहा कि अगर किसान भाई उद्यानिकी फसलों का अपनी खेती में समावेश करेंगे तो निश्चित रूप से आर्थिक लाभ मिलेगा और किसान अपनी आर्थिक तरक्की कर पाएंगे। उदयभान सिंह अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय भुसावर ने किसानों को उद्यानिकी में प्लास्टिक का उपयोग जैसे --ग्रीन हाउस, नेट हाउस, फव्वारा, मिनी फव्वारा, माइक्रो फव्वारा, बूंद बूंद सिंचाई संयंत्र, पाइप लाइन, प्लास्टिक क्रेट, लो टनल, मल्चिंग इत्यादि का उपयोग करके अधिक मुनाफा कमाने की सलाह दी। प्याज़ -- लहसुन अनुसंधान केन्द्र करनाल से आए हुए वैज्ञानिक बिमलेश राजपूत ने प्याज तथा लहसुन की उन्नत उत्पादन तकनीक तथा प्याज़ लहसुन के उत्पादन के बाद इनके सुरक्षित भंडारण की विभिन्न तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी। पहले दिन की समाप्ति पर के सी मीणा, अतिरिक्त निदेशक उद्यान जयपुर को उनकी 31 दिसंबर की सेवानिवृत्ति को ध्यान में रखते हुए माल्यार्पण कर साफ़ा पहनाते और शाॅल ओढ़ाते हुए भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर भगवदगीता तथा बिहारी जी की तस्वीर भेंट कर मीणा जी के सेवानिवृत्ति के बाद खुशहाल स्वस्थ और निरोगी जीवन की कामना की गई।
सेमीनार के दूसरे दिन उद्यानिकी प्रशिक्षण केन्द्र जयपुर से आए हुए सत्यनारायण तथा ओमप्रकाश ने संरक्षित खेती के विभिन्न आयामों जैसे - ग्रीन हाउस नेट हाउस इत्यादि के निर्माण, कार्यप्रणाली, उपयोग, इनके उपयोग से होने वाले लाभ तथा संभावनाओं पर विस्तार से जानकारी दी। सेमीनार के समापन पर मुकेश चौधरी सहायक निदेशक उद्यान अलवर ने सभी अतिथियों तथा किसान भाइयों का आभार और धन्यवाद व्यक्त किया। मंच संचालन मनोज जैन सहायक कृषि अधिकारी ने किया।
- कोशलेन्द्र दत्तात्रेय