कड़ी धूप और गर्मी की परवाह किए बिना व्याख्याता बने कारीगर, विद्यार्थी बने हेल्पर: बदली स्कूल की तस्वीर

नीमराना (मयंक जोशीला) जब मन में कुछ कर गुजरने की हो तो कुछ भी कठिन नहीं होता है, हर राह आसान हो जाती है। कड़ी धूप और गर्मी की परवाह किए बिना स्कूल के विद्यार्थी और शिक्षक पिछले पांच दिनों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं। गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान अजमेर द्वारा कक्षा 11 उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश में 15 दिनों का समाज सेवा शिविर का आयोजन अनिवार्य किया गया है, जो सौ अंक का होता है। नीमराना ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सिलारपुर में ग्रीष्मकालीन समाज सेवा शिविर का आयोजन किया जा रहा है। विद्यालय के शिक्षक एवं पुरस्कृत शिक्षक फोरम राजस्थान के सदस्य राम किशन गोठवाल व्याख्याता (भूगोल) के नेतृत्व में पिछले 8 वर्षों से लगातार इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को शिविर में अजीब नजारा देखने को मिला। कक्षा कक्ष में चाक और पुस्तक पकड़ने वाले व्याख्याता के हाथ में करनी और हथौड़ा देखकर आश्चर्य हुआ। गोठवाल सर ईंटों और सीमेंट से बच्चों के साथ मिल कर सीढ़ियां बना रहे थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि एक कमरे के सामने कुछ सीढ़ियां ऊंची थीं जिन पर छोटे बच्चों को चढ़ने उतरने में परेशानी होती थी। शिविर में बच्चों के साथ श्रमदान तो करना ही है, ये सोचकर मैंने अपनी जेब से पैसे देकर सीमेंट मंगवाई। विद्यालय प्रांगण में इधर-उधर बिखरी पड़ी ईंटों को एकत्र करवाकर सीढ़ी बनानी शुरू कर दीं। इस तरह स्कूल के व्याख्याता कारीगर बने हुए थे और विद्यार्थी उनके हेल्पर। विद्यार्थी भी मन लगाकर गुरुजी की मदद कर रहे थे। अपने विषय का 100 प्रतिशत परीक्षा परिणाम और अधिकांश बच्चों को भूगोल विषय में विशेष योग्यता दिलाने वाले व्याख्याता गोठवाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। 2021 में ब्लॉक स्तरीय शिक्षक सम्मान तथा 2023 में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान मिल चुका है। समाचार-पत्रों व पत्र-पत्रिकाओं में अपने लेखों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, प्लास्टिक मुक्ति अभियान चलाने व तंबाकू व धूम्रपान नियंत्रण हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष प्रयासरत हैं। शिविर में बच्चों के साथ रैलियां निकालकर ग्रामीणों को इन विषयों पर जागरुक करते रहते हैं। शिविर में विद्यार्थियों के साथ ही यतींद्र दीप निमोरिया कनिष्ठ सहायक उपस्थित रहे।






