आंवला नौवमी पर महिलाओं ने आंवले की पूजा अर्चना कर लगाई परिक्रमा
रामगढ (अलवर, राजस्थान/ राधेश्याम गेरा) सनातन धर्म की मान्यता अनुसार कार्तिक मास की शुकल पक्ष की नौवमी के दिन भगवान कृष्ण ने गौकुल से मथुरा प्रस्थान कर कंस का वध किया था। दूसरी मान्यता अनुसार भगवान विष्णु के चतुर्थ मास में शैष सैया पर विश्राम के दौरान भगवान भोले नाथ को सृष्टी की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी थी कार्तिक मास की शुकल पक्ष की नवमी के दिन माता लक्ष्मी ने भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु के प्रतीक स्वरुप वृक्ष की एक साथ पूजा करने की सोची तो मन में आया तुलसी केवल भगवान विष्णु को प्यारी है और बेलपत्र भगवान भोलेनाथ को इसलिए आंवले के वृक्ष को दोनों का प्रतीक मान भगवान भोलेनाथ और विष्णु पूजा की थी और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठ भोजन किया था। इससे प्रसन्न हो दोनों ने माता लक्ष्मी को वरदान दिया कि जो भी इस दिन आंवले की पूजा करेगा उस के घर में कभी धन सम्पदा की कमी नही रहेगी और महिला सौभाग्यवति रहेगी। तभी से सनातन धर्म प्रेमी महिलाऐं आँवले की परिक्रमा,पूजा और व्रत रख आंवले के वृक्ष के नीचे बैठ भोजन करती चली आ रही हैं। आज कस्बा अलावडा के शिव मंदिरों में प्रातः से महिलाऐं आंवले की 108 परिक्रमा लगा पूजा अर्चना और कथा सुनती नजर आई। इस दौरान सविता सिंहल, सरोज सौनी, सरोज सिंहल, सुमन गेरा, अंजली की मौसी सहित अनेक महिलाओं और युवतियों ने आंवले की परिक्रमा लगा कथा सुनी।