गुरलाँ में सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का हुआ समापन: हमें भक्ति, ज्ञान और त्याग सिखाती है भागवत : वैष्णव
श्रीमद्भागवत कथा समापन पर भागवत जी तुलसी माता को ठाकुर जी के मन्दिर पहुचाया
गुरलाँ (भीलवाडा, राजस्थान/ बद्रीलाल माली) गुरलाँ में श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक हमें भक्ति, ज्ञान और त्याग सिखाती है भागवत शब्द के विच्छेद से यह पता चलता है भ से भक्ति, ग से ज्ञान , व से वैराग्य, त से त्याग यानि जो कथा में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य सीखाकर त्याग तपस्या के मार्ग के मार्ग से मोक्ष तक ले जाए वही होती है भागवत...
जिस प्रकार रामायण हमें जीना सिखाती है महाभारत हमें रहना और गीता हमें काम करने का काम करने का उपदेश देती है उसी प्रकार भागवत कथा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हमें जीवन के अंत में किस तरह और क्या काम करना चाहिए यह पता चलता है घनश्याम वैष्णव ने गुरलाँ में सप्तदिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कहा जीवन में आने वाली समस्या से भागता है उसे समस्याएं अपने नजदीक खींच है इसलिए भागवत कथा कहतीं है कि समस्याओं भागो मत समस्याओं पर विजय प्राप्त करेंसत्यनारायण सेन, बद्री लाल माली, लक्ष्मी लाल दाधीच, सूर्यप्रकाश पारीक, डालुदास, चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी, आदित्य दाधीच, महिला मित्र मंडल गुरलाँ, राधे महिला मंडल गुरलाँ का सहयोग रहा है भागवत कथा के समापन समारोह के हवन यज्ञ पु्र्णाहुति उपरांत भागवत जी ग्रथ व तुलसी माता को पुन भगवान लक्ष्मीनाथ ठाकुर जी के मन्दिर में भक्तों द्वारा ले गए