बेमौत मरते जानवर मानव की निर्दयता का उदाहरण

Feb 17, 2021 - 15:02
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बेमौत मरते जानवर मानव की निर्दयता का उदाहरण

प्रकृति मानव को एक उपहार के रूप में प्राप्त है, मानव का दायित्व है कि वह इसे संजो कर रखें, प्रकृति में समाहित जल, जंगल, जमीन, पहाड़, पक्षी, पशु, वन्य जीव, जंतु सभी अपनी एक अहम भूमिका अदा करते हैं। प्रकृति के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए इन सब की अहम भूमिका होती है, इन को संजो कर रखने का मुख्य दायित्व मानव का  बनता, क्योंकि प्राणियों में मानव श्रेष्ठ प्राणी, लेकिन मानव अपने स्वार्थ के वशीभूत इन्हें अनदेखी कर मौत के घाट पहुंचाने में जुटा हुआ है उसी का परिणाम है चारों ओर बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, सिकुड़ते वन क्षेत्र, घटते जलस्तर, खत्म होते वन्य जीव । मानव स्वयं वन्यजीवों के आवासों को नष्ट कर वहां औद्योगिक इकाइयों की स्थापना, आवास हेतु भवन, पर्यटन स्थल,होटल पार्क, परिवहन के  मार्ग  बड़े-बड़े बांध, एनीकट बना रहा है, जो वन्यजीवों के आवासों को पूर्ण रूप से खत्म करने की साज़िश,  परिणाम स्वरूप वन्यजीवों को आबादी कृषि  क्षेत्र में आने के लिए मजबूर होना पड़ता, जिसके चलते सड़क मार्ग पर आए दिन एक ना  एक वन्य जीव सड़क दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त होता, सड़क पर छितरे दिखाई देते, घटती वन्यजीवों की संख्या वह विलुप्त होती विभिन्न प्रजातियों को ध्यान में रखते हुए वन्यजीव अभयारण्यों, चिड़िया घरों का निर्माण व विस्तार किया जाता रहा, इन्हें आखेट से बचाने के लिए वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत संरक्षण प्रदान किया गया, यही नहीं भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों की सूची में प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण की बात लिखी गई है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के शेड्यूल फर्स्ट के तहत आने वाली सभी प्रजाति संरक्षित हैं, इन प्रजातियों के खिलाफ किसी भी तरह के अपराध के लिए अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान वह जुर्माना है , जनवरी 2003 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया और जुर्माना व सजा को अधिक कठोर बना दिया गया। जिससे वन्य जीवों के शिकार की घटनाओं में कमी दिखाई  देने के साथ ही तेज रफ्तार से दौड़ने वाले परिवहन के साधनों पर रोक नहीं लग सकी, जिससे  सड़क के ऊपर आए दिन  घटना घटती रहती है, वन्यजीवों के  शिड्यूल्ड प्रथम, द्वितीय, तृतीय का कोई भी जीव नष्ट हो, परिवहन के साधन पकड़े नहीं जाते और वन्य जीव मरने के बाद सड़क पर ही पीस जाते हैं, मानव इनके प्रति इतना निर्दई हो गया है कि वह इन्हें मृत देखकर एक तरफ भी नहीं करता, जो वन्य जीवो के प्रति मानव का कितना प्रेम है को दर्शाता है।
प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्रकृति को बचाना होगा, प्रकृति को बचाने के लिए प्राप्त प्राकृतिक उपहार स्वरूप संसाधनों  वन्य जीव, पक्षियों, जंतुओं, जानवरों को सुरक्षा व संरक्षण देना बहुत जरूरी हो गया । यदि एक भी जीवं जो प्रकृति पर है नष्ट होता है उसका पूरा प्रभाव सभी पर पडने के साथ उसके दुष्प्रभाव भी सभी जीवो को झेलने पड़ते हैं, आज वन्य जीव,पक्षी,जंतु बड़ी तेजी से नष्ट हो रहे हैं बहुत से जीवों की प्रजातियां नष्ट हुई वही बहुत सी नष्ट होने के कगार पर, वन्यजीवों के नष्ट होने के बहुत सारे कारण रहे होंगे, पर्यावरण प्रदूषण,दूषित जल, खत्म होते जंगल, शिकार, मानव का दखलन,  लेकिन सबसे खतरनाक इनके लिए सड़क व परिवहन यातायात के बढ़ते दबाव, तेज दौड़ते पहियों के कारण आज शेड्यूल प्रथम व द्वितीय के जानवरों का जंगल अथवा उनके आवास से बाहर निकलना जितना मुश्किल हो रहा है उससे अधिक मुश्किल उनका वापस सुरक्षित जगह पूछना हो गया, प्रणाम इसके प्रति 5 किलोमीटर की दूरी में आज दो वन्यजीवों, पशु पक्षियों की प्रत्येक दिन मौत हो रही है जिससे पूरे भारत में छोटे रेंगने, चलने, उड़ने वाले 10,000 वन्य व पालतू जीव जंतुओं को मृत्यु हो जाती है।
प्राकृतिक पर्यावरण एवं वन्य जीवों से जुड़े हुए एक शोध से पता चला है कि1970 के बाद धरती से 60 प्रतिशत वन्य जीव, जंतु, कीट पतंगों लुप्त हो चुके हैं।जों आगे चलकर वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है।
फिर हम इन्हें रखेंगे कहां ? ये प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में हमारा सहयोग कैसे करेंगे ? ये हमारे मित्र हैं, क्या हम इन्हें रिजर्व क्षेत्रों में ही देख पाएंगे अथवा चिड़िया घरों ? लेकिन प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ होयफकन कहते हैं कि बार बार चैंपियनजियो या जिराफ का बाहर निकल आना इस बात को साबित करता है कि जानवर बाहर जाना चाहते हैं, उनके लिए चिड़ियाघर का मतलब है बहुत ज्यादा सुरक्षा वाली जेल, बहुत जरूरी है कि जानवरों को उनके इलाकों में रहने दिया जाए।विशेषज्ञ मान फ्रेंड नीकिश का कहना है कि अगर व्यक्ति जानवरों को समझना भी सीख जाए तो वह समझ जाएंगे कि जानवरों को जंगल में रहने की जरूरत है। जंगल में रहने के लिए चाहिए की उनका आवास सुरक्षित हो, जलीय संसाधनों की पर्याप्तता के साथ सधन वन क्षेत्र व मानव का दखलन कम हो, क्योंकि जंगलों के खत्म होने और जानवरों के रहने की जगह कम होना ही उनकी विलूपति का मुख्य कारण है, अतः हमें वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, सड़क परिवहन के साधनों को एक निश्चित स्पिड के साथ चलने की हिदायत देने के साथ वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को मानव दखलन से दुर रखा जाए जिससे इन्हें सुरक्षा प्राप्त होने के साथ ही प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखा जा सके।

लेखन - रामभरोस मीणा

 

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