आंदोलन जरूरी नहीं मज़बूरी है – फ़ौजदार, जाट आंदोलन को लेकर एक दर्जन गांवों में किया जनसंपर्क
भरतपुर,राजस्थान / पदम चंद जैन
ड़ीग (30 नबम्बर) भरतपुर धौलपुर के जाटों को केंद्र में ओबीसी आरक्षण सहित चयनित अभ्यर्थी और आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने की 3 सूत्री मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन को सफल बनाने के लिए सोमवार को संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने दर्जनों गांव में जनसंपर्क किया । बहज बडेसरा नारोली शीशवाड़ा आदि गांवों में लोगों से जनसंपर्क अभियान के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार समाज के युवाओं की भविष्य की मांग को गंभीरता से नहीं ले रही है इस लिए अब हक और हित के लिए एकजुट होने की जरूरत है। जब तक हर घर से एक आदमी लाठी लेकर सड़क पर नहीं आएगा तब तक सरकार समाज की बात को गंभीरता से नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि पहले आंदोलन के लिए 8 महापंचायतों के आयोजन का निर्णय लिया गया था लेकिन कोरोना माहवारी को देखते हुए जनसंपर्क और नुक्कड़ सभाओं का आयोजन करते हुए समाज को एकजुट करने में हर आदमी की भूमिका जरूरी है हम सभी पार्टियों के नेताओं से भी अपील कर रहे हैं दलगत राजनीति से ऊपर उठकर युवाओं के भविष्य के लिए आगे आये। सिंह ने कहा कि सरकार ने भरतपुर धौलपुर दो जिले राजस्थान में अलग-थलग कर रखे हैं ऐसा किस संविधान में लिखा हुआ है एक जाति को दो भागों में बांटना कहां तक न्याय संगत है। यह अन्याय सरकार जानबूझकर कर रही है उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिना किसी देरी के केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखे । जो अभ्यर्थी चयन होने के बाद हाई कोर्ट का आदेश लेकर घूम रहे हैं उनको भी सरकार नियुक्ति नहीं दे रही है आंदोलन के दौरान जो मुकदमे लगे उन पर भी सरकार ने अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की है इसलिए आंदोलन जरूरी नहीं समाज की मजबूरी बन गया है । इस दौरान गाव शीशवाडा प्यारे प्रभु रमेश विष्णु राजपाल शम्मो वहज ओमप्रकाश बडेसरा लोटन हवलदार आदि लोग उनके साथ मे थे।