ना न्याय मिला ना सहायता,दरदर की ठोकर खाने को मजबूर पीडिता, मंत्री का आश्वासन भी खोखला निकला

Jun 21, 2020 - 01:14
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ना न्याय मिला ना सहायता,दरदर की ठोकर खाने को मजबूर पीडिता, मंत्री का आश्वासन भी खोखला निकला

बयाना भरतपुर

बयाना 20 जून। चार माह पूर्व एक कुए में मृत मिले चाचा भतीजे की मौत जहां अभी तक पुलिस की धीमी जांच और ढुलमुल नीती के चलते अबूझ पहेली बनी हुई है। वहीं इनमें से एक व्यक्ति की बेबा महिला और एक व्यक्ति के बूढे मां बाप को अभी तक मंत्री व क्षेत्रीय विधायक के आश्वासन व वादे के बावजूद ना तो किसी भी प्रकार की सहायता मिल सकी है। ना ही कोई न्याय मिलना तो दूर उन्हें यह भी तसल्ली नही मिल सकी है कि उनके पालनहार पति, पिता और बेटे की मौत कैसे हुई। ऐसी हालत में मृतक चाचा भतीजे के परिजन सहायता और न्याय के लिए दरदर की ठोकरें खाने को मजबूर है। ज्ञात रहे गत 19 फरवरी को उपखंड के गांव दहगांवा के पास बछैना मोड के किनारे स्थित एक कुए में गांव नगला पुरोहित निवासी किशनसिंह पुत्र रामजीलाल जाटव आयु 36 वर्ष व उसके भतीजे बब्बन पुत्र लक्ष्मणजाटव आयु 21 वर्ष के शव पुलिस को मिले थे। कुए के गहरे पानी में डूबे इन शवों व उनकी मोटरसाइकिल को बाहर निकालने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पडी थी। बब्बन की 16 फरवरी को शादी होनी थी।जिसके निमंत्रण पत्र रिश्तेदारों को बांटने के लिए यह दोनों चाचा भतीजे 1 फरवरी की सुबह अपने घर से मोटरसाइकिल से निकले थे। इसी दिन यह दोनों चाचा भतीजे शाम को भुसावर से रवाना होने के बाद दहगांवा की ओर जाते समय अचानक गायब हो गए थे। उनके मोबाइल फोन भी बंद हो गए थे। परिजनों की ओर से काफी तलाश किए जाने के बावजूद कोई पता नही लगने पर तब ही पुलिस को उनके गायब होने की सूचना दी गई थी। जिसके प्श्चात पुलिस ने दोनों जनों की गुमशुदगी का मामला भी दर्ज किया था। इसके बाद इन दोनांे चाचा भतीजों के शव व उनकी बाइक 19 फरवरी को गांव दहगांवा के पास स्थित बछैना मोड के किनारे एक कुए में डूबे मिले थे। किन्तु इनके तीन मोबाइल फोनों का अभी तक कोई पता नही लग सका है।

जिससे कई तरह के संदेह पैदा होने लगे है। कुए में चाचा भतीजे के शव मिलने के बाद पुलिस की ओर से मर्ग मुकदमा दर्ज कर जांच सहायक पुलिस उपनिरीक्षक पूरनसिंह को सौंपी गई थी। जिनकी धीमी गति और ढुलमुल नीती के चलते अभी तक मामला जहां से शुरू हुआ था। वहीं तक ठहरा हुआ है। अनुसंधान अधिकारी की सुस्त चाल और अनुसंधान करने का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह मृतकों के पोस्टमार्टम के दौरान लिए गए विसरे के नमूनांे को एफएसएल जांच रिपोर्ट के लिए अभी तक पुलिस की एफएसएल लैबोट्री भरतपुर में भी जमा नही करवा सके है। यह नमूने पहले तो काफी दिन तक यहां की मोर्चरी में रखे रहे और अब पुलिस कोतवाली के मालखाने मेें जांच को भेजे जाने के इंतजार में रखे है। यहां भी संबंधित अनुसंधान अधिकारी से इन नमूनों को जांच के लिए भरतपुर की एफएसएल लैबोट्री में जमा कराने को कई बार कहा गया है। किन्तु उन्हें अभी तक फुर्सत नही मिल सकी है।

ना मिला न्याय ना मिली सहायताः- चार महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस ना तो अभी तक पीडित परिजनों को यह बता सकी है। कि इन दोनों की मौत कैसे हुई। ना ही उन्हें कोई न्याय या सरकार की ओर से मिलने वाली आथर््िाक सहायता दिला सकी है। परिजनों का कहना है कि उन्हें तो हत्या का संदेह है। मृतक किशनसिंह जाटव के तीन छोटे छोटे बच्चे व विधवा पत्नी है और भतीजा बब्बन के बूढे मां बाप व अन्य परिजन है। किशन की बेबा पत्नी रामश्री जाटव की आर्थिक स्थिती तो इतनी कमजोर है कि वह घासफूंस से बने एक छोटे से छप्पर में रहने को मजबूर है। ग्रामीणों के सहयोग से बमुश्किल बच्चों का पेट पालन करपाती है। उसे राज्य मंत्री व क्षेत्रीय विधायक भजनलाल के आश्वासन के बावजूद ना तो अभी तक कोई न्याय और ना ही किसी प्रकार की सरकारी सहायता मिल सकी है। यहां तक की 4 महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद इस बेबा की पेंशन भी नही हो सकी है और वह दरदर की ठोकरें खाने को मजबूर है। यहां के तहसील कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार आकस्मिक दुर्घटना में मौत होने पर मृतक के आश्रित को 50 हजार से 1 लाख रूप्ए तक की आर्थिक सहायता मुख्यमंत्री सहायता कोष से दी जाती है। इसके अलावा मृतक की विधवा को पेंशन व उसके पढने वाले बच्चों को पालनहार योजना के तहत एक हजार रूप्ए महीने प्रति बच्चा की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। जो इस बेबा और उसके नादान बच्चों के लिए अभी तक सपना बनी हुई है।

बयाना संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट

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