मकर संक्रांति भैरुंजी मेला विशेष:महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने लोहार्गल जाते समय की थी खुतड़मल भैरूंजी की स्थापना

किशोरपुरा में खुतड़मल भैरूंजी का प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मकर सक्रांति पर भरता है मेला - मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने लोहार्गल जाते समय की थी खुतड़मल भैरूंजी की स्थापना - शराब का चढ़ता है भोग शेखावाटी में मतवाला भैरुंजी के नाम से भी जाना जाता है किशोरपुरा का भैरुंजी - कई शताब्दियों पूर्व हस्तिनापुर से किशोरपुरा आए खटाणा परिवार के द्वारा की जाती है भैरुंजी की पूजा अर्चना - मरुस्थली टीलों रेगिस्तानी बलुई मिट्टी और पहाड़ियों के अनुपमं संगम पर बना भैरुंजी महाराज का मन्दिर भक्तों को करता है आकषिर्त - भैरुंजी के कई चमत्कारों की होती है गांव में चर्चा अदभुत मेले के भी चलते हैं किस्से - भैरुंजी की आंख चुराने वाले अधर्मी को एक पल में अंधा कर दिखाया था चमत्कार

Jan 13, 2024 - 18:50
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मकर संक्रांति भैरुंजी मेला विशेष:महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने लोहार्गल जाते समय की थी खुतड़मल भैरूंजी की स्थापना

 उदयपुरवाटी/नीमकाथाना (सुरेश मीणा किशोरपुरा)

किशोरपुरा के मरुस्थली टीलों एवं  पहाड़ियों के संगम के बिच अवस्थित भैरूंजी मंदिर बड़ा चमत्कारी है भैरुंजी महाराज का यह मंदिर लग भग 552 साल पुराना है। भैरुंजी महाराज की उत्पत्ति के बारे में अलग-अलग किद्वंतियां हैं खटाणा परिवार के राजेश खटाणा ने पुर्वजों के बताये अनुसार बताया कि महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद जब पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए तीर्थराज लोहार्गल आये थे तब खरकड़ा और किशोरपुरा में भैरुंजी महाराज की स्थापना की थी तथा दुसरी ओर भाटबहियों के अनुसार सेडूराम खटाणा के द्वारा गणेश्वर में कुल की देवी शिंयार माता की स्थापना और किशोरपुरा में भैरुंजी महाराज की स्थापना की गई थी । जब से भैरुंजी महाराज की पुजा अर्चना खटाणा परिवार ही करता आ रहा है । भैरुंजी महाराज का प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर भव्य मेला लगता है । जिसमें हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। भैरुंजी महाराज को हर जाति समुदाय को लोग मानते हैं।

भैरुंजी के भक्त गुलगुले,खीर,दही की धरिंडी और विशेष रूप से शराब का भोग लगाते हैं श्रद्धालु अपने पशुओं की सांकल जेवड़े की भी जात लगाते हैं। भैरुंजी महाराज सभी भक्तों की मन्नत पूरी करता है । इस मेले के दिन अनेक खेल कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है । जिसमें कबड्डी ऊंची कूद,लंबी कूद, कुश्ती दंगल,घोड़ी दौड़,ऊंट दौड़,आकर्षक घोड़ी नृत्य,ऊंट नृत्य आदि प्रतियोगिता प्रमुख हैं। बताया जाता है कि भैरुंजी महाराज के कई चमत्कार देखने को मिलते हैं । कहा जाता है कि गांव के लोग मजदूरी तथा नौकरी करने के लिए घर से बाहर देश प्रदेश के लिए प्रस्थान करते हैं तो भैरुंजी महाराज के धोक लगाकर जाते हैं वे सही सलामत वापस लौटते हैं। कोरोना जैसी महामारी में एक भी ऐसी कोई घटना भैरुंजी के भक्तों के साथ घटित नहीं हुई। बाबा को मानने वाले बेरोजगार भक्त मन्नत मांगते हैं। तो उन्हें रोजगार,मजदूरी,नौकरी मिल ही जाती ती है। बाबा के बहुत सारे भक्त देश के कई अन्य शहरों में बस गये वो आज भी जात जड़ूले लेकर प्रतिवर्ष भैरुंजी के आते हैं। कहा जाता है कि बाबा छल करने वालों को सबक सिखाते देर नहीं करता हैं । वर्षों पहले एक व्यक्ति ने बाबा की प्रतिमां की आंख निकाल ली थी कुछ पल बाद ही वो अंधा हो गया तो उसने अपनी गलती का पश्चाताप किया तब उसे वापस दिखाई देने लगा बाबा के ओर भी कई चमत्कारी किसे सुनने को मिलते हैं। गांव के गोकुल सिंह शेखावत बाबा के परम भक्त थे वो जीवन प्रयंन्त प्रति दिन धोक लगाने आते थे । बारिश,आंधी-तुफान रुक जाते लेकिन गोकुल सिंह शेखावत भैरूजी महाराज के दर्शन किये बिना नहीं रुकते थे । उनको बाबा के साक्षात द्रशाव देने की बात मानी जाती है। मन्दिर परिसर में अब काफी डवलपमेंट हो गया है। पेयजल आपूर्ति,सड़क निर्माण कार्य भी पुर्ण हो चुका है। यहां कई भामाशाह समय समय पर सहयोग करते रहते हैं। बाबा के दर्शन करने के लिए दुर-दुर से लोग आते हैं ।

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