राज्य सरकार की योजनाओं को जमीनी धरातल पर पहुंचने से पहले की ठेकेदार व कर्मचारी कर रहे हैं फ़ैल, लाखों रुपए का लगा रहे है चूना, गरीबों को नही मिल रहा सुविधाओं का लाभ
कामां (हरिओम मीणा)
राज्य सरकार ने आमजन व गरीबों की मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराने के लिए अन्नपूर्णा रसोई योजना का शुभारंभ कर गरीबों को एक सौगात दी जिससे कोई भी व्यक्ति कहीं भी भूखा न सोएं। कहते हैं कि इंसान भूखा जागता है लेकिन भूखे इंसान को नींद नहीं आती इसलिए सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए अन्नपूर्णा रसोई योजना का शुभारंभ किया। इस योजना से लोगों को राहत मिली लेकिन समय के अनुसार ठेकेदार ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और अन्नपूर्णा रसोई योजना में भष्टाचार करते हुए लाखों रुपए का भुगतान उठाने लगें जिससे स्वादिष्ट भोजन में शिकायत आने लगी और समय पर भोजन नही मिलने का दौर शुरू हो गया।
अन्नपूर्णा रसोई योजना पर काम करने वाले कर्मचारी अपनी रोजी रोटी के चक्कर में ठेकेदार के अनुसार काम करने लग गए, ठेकेदार की मनमर्जी चलती रही सरकार की योजनाओं पर फ़र्क पड़ने लगा।
आज हम बात करते हैं डीग जिले के कामां कस्बे में जहां पर चार अन्नपूर्णा रसोई संचालित है जिनमें तीन अन्नपूर्णा रसोई में सुबह से शाम तक मात्र 50-60 थालियों का टारगेट बड़ी मुश्किल से पूरा होता है जबकि कोसी चौराहे पर स्थित अन्नपूर्णा रसोई योजना लगभग 200 लोगों को भोजन खिलाकर अपना टारगेट पूरा करती है। संवाददाता हरिओम मीणा ने जब पूरी पड़ताल की तो पता चला कि कोसी चौराहे पर सैकड़ों छोटे छोटे मासूम बच्चे जो कबाड़ा एकत्रित करते हैं कुछ फेरी लगाते हैं उन सभी बच्चों को बारी बारी से बुलाकर फर्जी तरीके से फोटो अपलोड कर 200 थालियों का टारगेट पूरा किया जाता है
इसमें सबसे मजेदार बात यह है कि रसोई संचालक व कर्मचारी इधर-उधर से पकड़ पकड़ कर व वुलावुला कर 200 थालियों के टारगेट को पूरा करने के लिए छोटे छोटे मासूम बच्चों की फोटो अपलोड कर उन्हें बिना भोजन कराएं भेज देते हैं इस प्रकार का क्रम काफी लंबे समय से चल रहा है। जब हमारे संवाददाता ने छोटे बच्चे से बात की तो पता चला कि उन मासूम बच्चों को इस मामले में कोई जानकारी ही नहीं है कि फोटो किसलिए व क्यूं खिंचे जातें हैं। मासूम बच्चों को खाना खिलाना तो दूर फोटो अपलोड होने के बाद फ्रिज से ठंडा पानी भी नहीं पीने देते हैं।