51 कलश यात्रा के साथ ही शुरू हुई सात दिवशीय श्रीमद्भागवत कथा,रमा विहार में मेघ मल्हार की फुँवार के बीच बह रही भक्ति की रसधार
भीलवाड़ा :- सात दिवशीय श्रीमद्भ भागवत कथा में नारद भक्ति संवाद का निरूपण करते हुये कथावाचक विष्णु महाराज ने बताया की जिस प्रकार सुबह, दोपहर और साम के बगैर दिन अधूरा होता हैं, ठीक उसी प्रकार हमारा जीवन भी भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के बैगर अधूरा हैं। जब हमारे जीवन में ये तीनो चीजे निरंतर रहेगी तभी जीव परमात्मा को प्राप्त कर सकता हैं। आजकल इस मोबाइल की दुनियां में लोगो में भक्ति तो जवान दिखती हैं पर ज्ञान और वैराग्य अचेतन अवस्था में हैं। इसीलिए आज के कलयुगी मानव का जीवन पंगु के समान हो चला हैं। नारद जैसा कोई संत सदगुरु का सानिध्य प्राप्त हो और उसके बताये पथ पर अगर लोग चले तो कलयुग के दुखों का निवारण हो सकता हैं। जैसे नारद जी ने भक्ति का दुःख निवारण करने के लिए बद्रीविशाल पूरी में सनकादिक ऋषियो के सहयोग से भागवत कथा सप्ताह का आयोजन किया था। जिससे ज्ञान वैराग्य को नया स्वरूप प्राप्त हुआ था। श्रीमद् भागवत कथा का प्रभाव इतना हैं की बद्रीविशाल पूरी में गंगा किनारे भागवत कथा का वाचन हुआ और वृंदावन जी में यमुना किनारे अचेत अवस्था में पड़े ज्ञान और वैराग्य नौ जवान हो गए और भगवान् श्री कृष्ण का कीर्तन करते हुए नाचने झूमने लगे। कितने से कितना भी बड़ा पापी क्यों ना हो भागवत कथा श्रवण करने मात्र से उस पापी की बुद्धि भी शुद्ध हो जाती हैं और उसको सदगति प्राप्त होती हैं। आत्मदेव और धुंधली के पुत्र धुंधकारी का व्याख्यान करते हुए रमा विहार स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में रविवार को शुरू हुई सात दिवशीय भागवत कथा में बोलते हुए कथावाचक विष्णु महाराज ने बताया की कलयुग में मनुष्य का मैला मन ही धुंधकारी हैं। काम, क्रोध, लोभ, मद और मोह रूपी पाँच वैश्याओ के प्रति मन हमेशा आधीन रहता हैं। इन्ही में लिप्त रहते हुए अगर मनुष्य की मृत्यु होती हैं तो यह जीव प्रेत योनी को प्राप्त करता हैं। गौकरण जेसे संत के द्वारा भागवत कथा श्रवण करने पर प्रेत योनी से मुक्त होकर के सदगति को प्राप्त करता हैं। पर यदि जीवित अवस्था में मनुष्य भागवत कथा श्रवण करके काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह जेसे विकारो को त्याग देता हैं। तब निश्चित ही उसे भगवान की शरण प्राप्त होती हैं।
कथा के बिच में विष्णु महाराज के मुखारविंद से "मुक्ति का कोई तू जतन करले, रोज थोड़ा थोड़ा हरी का भजन कर ले" और "बरस बरस म्हारा इंदर राजा तू बरस्या मारो काज सरे" जैसे शब्दों पर भजन कीर्तन हुआ जिस पर भक्तजन भावविभोर होकर नाचने झूमने लगे और उधर मेघ मल्हार भी बरसने लगे। ऐसे में श्रावण माह की मेघ मल्हार के बीच रमा विहार नगरी भक्तिभाव से सराबौर हो उठी। रविवार से शुरू हुई कथा 10 अगस्त तक चलेगी । वही कथा दोपहर 1 बजे से साम 4 बजे तक रमा विहार स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में आयोजित की जा रही हैं।
रामकन्या त्रिपाठी ने बताया की रमा विहार स्थित रामेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण में दिनांक 4 अगस्त से 10 अगस्त तक सात दिवशीय श्रीमद् भागवत कथा का प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक 3 घण्टा प्रीतिबाला जौशी व उमा मित्तल के साथ ही रमा विहार की समस्त महिला मित्र मण्डली के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा हैं।
रामकन्या त्रिपाठी ने बताया कि इस कथा के शुभारंभ को लेकर रविवार प्रातः 8:30 बजे सुखाड़िया सर्कल स्थित शिव मन्दिर से सजेधजे 51 कलशों से भव्य कलश यात्रा शुरू हुई जिसमें महिलाएं लाल चूंदड़ पहने बणठण कर नाचते झमुते व भजन कीर्तन करते हुए तो पुरुष धवल रंग के कुर्ते पायजामे पहने हुए भक्तिभाव से श्रीमद्भ भागवत जी की पौथी को लादूवास सरपंच मुरलीधर जौशी व रतन लाल मित्तल ने अपने सिर पर रखकर शौभायात्रा में साथ साथ चलते हुए रमा विहार स्थित रामेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण में कथा स्थल पर पहुँचे।
प्रितिबाला जौशी ने बताया कि इस श्रीमद् भागवत कथा का कथावाचक पण्डित विष्णु महाराज की रसमय मधुरवाणी में संगीतमय लय के साथ किया जा रहा हैं।
जौशी ने बताया कि इस कथा को लेकर महिला मित्र मण्डली बहुत ज्यादा उत्साहित हैं और इस धर्मकर्म के कार्य मे बढ़चढ़ कर सहयोग करते हुए कथा की व्यवस्था बनाये रखने में अपना योगदान भी दे रही हैं।