विद्युत के क्षेत्र में उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण निगमों में भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर किए जा रहे अंधाधुंध निजीकरण पर रोक लगाने के लिए दिया मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
भरतपुर (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) विद्युत के क्षेत्र में उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण में भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर किए जा रहे अंधाधुंध निजीकरण पर रोक लगाई ने हेतु राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा आग्रह किया गया था, परंतु विद्युत प्रशासन द्वारा इन्हें रोकने पर अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाये गए है। विद्युत क्षेत्र का निर्माण व संचालक राज्य सरकार द्वारा निगम के माध्यम से उद्योग धंधों के विकास, कृषि के उपयोग व घरेलू उपभोक्ताओं के दैनिक दिन उपभोग हेतु किया जाता है ।राज्य सरकार द्वारा इस विद्युत क्षेत्र का संचालन बिना लाभ हानि के सिद्धांत पर अपनी राज्य की जनता के प्रति लोक कल्याणकारी सरकार की सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु किया जाता है ।परंतु वर्तमान सरकार अपनी लोक कल्याणकारी भूमिका को छोड़कर विद्युत क्षेत्र को लाभ हानि के आधार पर संचालन की मंशा से आगे बढ़ रही है उसी के कारण विद्युत प्रशासन द्वारा विद्युत के वितरण, प्रसारण व उत्पादन में वर्तमान में द्रुत गति से भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर निजीकरण किया जा रहा है ।
1.वितरण के क्षेत्र में तीनों डिस्कांम में वर्तमान में अधिकतर कार्य आउटसोर्स, एफ आरटी, ठेके व सीएल आरसी इत्यादि नामों से निजी भागीदारी द्वारा करवाए जा रहे है ।अब HAM मॉडल के तहत 33/ 11 केवी ग्रिड के फीडर सेग्रिगेशन व सोलराईजेशन के नाम पर आउटसांर्स कर निजी हाथों में दिया जा रहा है। जो की ग्रिड सेफ्टी कोड का सीधा-सीधा उल्लंघन है। इसके कारण HAM मॉडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड निजी हाथों में देने से राज्य व देश की सामारिक सुरक्षा को किसानों/ जनता के आंदोलनों ,प्रदर्शनों एवं युद्ध के समय में खतरा उत्पन्न हो सकता है।
2.प्रसारण निगम जो कि बर्षों से लाभ देने वाला संस्थान है उसके बावजूद इसके ग्रिडों का संचालन कलस्टर के माध्यम से ठेके पर देकर करवाया जा रहा है एवं अब इनविट के माध्यम से प्रसारण की आर्थिक सुदृढता व लाभकारी स्थिति में विशेष योगदान देने वाले 765 केवी व 400 केवी ग्रिड सब स्टेशन से प्राप्त होने वाली आय को इस मॉडल के माध्यम से निजी भागीदारों को बांटकर प्रसारण को भी हानि का निगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।
3.उत्पादन निगम के उच्च गुणवत्ताव एवं कम विद्युत उत्पादन लागत वाले तापीय विद्युत उत्पादन गृह जो वर्तमान में सुचारू रूप से विद्युत उत्पादन कर रहे हैं और राजस्थान प्रदेश को विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में आत्म निर्भरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। इन पांवर प्लांटों को नए पावर प्लांटों हेतु धन की कमी का बहाना बताकर केंद्रीय सार्वजनिक निगमों के साथ संयुक्त उपक्रम (जॉइंट वैंचर) बनाकर हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को बंद किया जावे। राजस्थान सरकार इसमें अपने हिस्सा एवं आधिपत्य को बेवजह छोड़कर प्रदेश की जनता व कर्मचारियों के हितों के साथ विश्वासघात कर रही है। वह भी तब जब इन वर्तमान तापीय विद्युत उत्पादन गृह में किसी प्रकार का पूंजीगत निवेश निगमों व राज्य सरकार को नहीं करना है।
4.पांचो विद्युत निगमों में कार्यरत कर्मचारियों को लगभग 1 वर्ष पूर्व ओ.पी.एस योजना का फार्म भरवा कर सदस्य बना दिया गया है परंतु अभी तक ओ.पी.एस योजना राज्य सरकार के आदेश क्रमांक प. 13 (12) वित्त की (नियम)/ 21 जयपुर दिनांक 20. 4 2023 की बिंदु संख्या 1.5 में स्पष्ट उल्लेख है कि पुरानी पेंशन योजना संस्था में लागू होने के बाद नियोक्ता अंशदान के रूप में कोई कटौती सीपीएफ योजना के अंतर्गत नहीं की जाएगी की अनुपालना में आज दिनांक तक सीपीएफ कटौती बंद कर जीपीएफ कटौती शुरू नहीं की गई।
ज्ञापन के माध्यम से राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति में शामिल संगठन जो विद्युत के पांचो निगमों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं एक स्वर में आज दिनांक 25.11.2024 को कार्य बहिष्कार करते हुए ज्ञापन के माध्यम से आपसे मांग करते हैं कि वितरण, प्रसारण एवं उत्पादन निगमों में उपरोक्त वर्णित विभिन्न प्रक्रियाओं व मॉडल के नाम पर किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाई जावे एवं नए कर्मचारियों की भर्ती कर ग्रिड सब स्टेशनों पर तापीय विद्युत उत्पादन गृह का संचालन निगम कर्मचारियों के माध्यम से करवाया जावे। एवं कर्मचारियों को ओ.पी.एस योजना का पूर्ण लाभ देने हेतु सीपीएफ कटौती बंद कर जीपीएफ कटौती शुरू की जावे। विद्युत प्रशासन व राज्य सरकार द्वारा कर्मचारी व अधिकारियों के इस लोकतांत्रिक माध्यम से विभाग बचाने हेतु दिए गए ज्ञापन पर संज्ञान नहीं लिया जाता है तो भविष्य में देश, उद्योग व श्रमिक हित में लोकतांत्रिक श्रमिक आंदोलन जारी रहेंगे।