प्रतिबंधित श्रेणी की सरकारी भूमि पर बना दिए पट्टे, तहसीलदार ने दर्ज कराया मुकदमा
पुलिस करेगी जांच
नागौर (मो. शहजाद) में प्रतिबंधित श्रेणी की सरकारी भूमि पर नगर परिषद ने 16 पट्टे जारी कर दिए। सरकारी भूमि पर पट्टे जारी करने के मामले में नागौर तहसीलदार ने अप्रैल 2023 में नागौर कोतवाली थाने में अवैध पट्टों की जांच और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुकदमा दर्ज करवाया था।
नागौर पुलिस और प्रशासन का आपसी तालमेल नहीं होने से मामला लगातार पेंडिंग रहा। इसी बीच पहले 2023 का विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2024 व खींवसर विधानसभा चुनाव में पुलिस-प्रशासन लग गया। अब नागौर जिला पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस ने नागौर वृत्ताधिकारी के नेतृत्व में एक टीम बनाई है, ये टीम एक महीने में इन अवैध पट्टों की जांच रिपोर्ट सौंपेगी। अभी पुलिस ने नगर परिषद को पत्र लिखकर पट्टों से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं।
अवैध पट्टों के मामले में पुलिस की जांच पिछले 20 महीने में कोतवाली से बाहर ही नहीं निकली है। अब तहसील प्रशासन और पुलिस ने फिर से संज्ञान लिया तो जांच आगे बढ़ने की संभावना है। नागौर के कार्यवाहक तहसीलदार नृसिंह टांक ने बताया कि नगर परिषद ने सरकारी खाते 791 में दर्ज जमीन पर 16 अवैध पट्टे जारी कर दिए। जिला कलेक्टर के निर्देश पर हल्का पटवारी और भू-अभिलेख निरीक्षक ने जांच कर रिपोर्ट दी है कि प्रतिबंधित श्रेणी की अंगोर व नाडी की भूमि पर पट्टे जारी हुए हैं। तत्कालीन नागौर तहसीलदार ने 28 अप्रैल 2023 को रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, मगर जांच आगे नहीं बढ़ी। अब एसपी के निर्देश पर कोतवाली थाना पुलिस ने नागौर नगर परिषद से संबंधित फाइलें तलब की हैं।
11 और पट्टों की भी जांच संभव - सरकारी भूमि पर अवैध पट्टे देने को लेकर नागौर नगरपरिषद के कर्मचारियों की भूमिका लगातार संदेह के घेरे में है। एडीएम आवास के पास आम रास्ते का पट्टा देने का मामला भी चर्चा में है। नागौर तहसीलदार की शिकायत के अनुसार नगरपरिषद ने सरकारी भूमि के नाम दर्ज खसरा नं. 30, 547, 379, 381, 133, 451, 592 और 532 की अंगोर और नाडी की भूमि पर पट्टे दिए हैं। इसके अलावा नगरपरिषद की ओर से जारी 11 पट्टे भी रडार पर हैं, लेकिन इन 11 पट्टों की भूमि नगर परिषद नागौर को जमीन की देखभाल के लिए आवंटित की गई थी। ऐसे में ये नगरपरिषद के नाम दर्ज हैं, लेकिन पूर्ण स्वामित्त्व नहीं होने के बावजूद इनका पट्टा जारी होने के कारण जल्द ही अवैध भू आवंटन की एक और रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है।