लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली और रोडवेज के निजीकरण के विरोध की चिंगारी तेज होती जा रही है। एक तरफ इन विभागों के कर्मचारी निजीकरण से गुस्से में हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस,सपा और बसपा जैसे राजनैतिक दलों के नेता भी निजीकरण के विरोध में लामबंद हो रहे हैं। बिजली के निजीकरण के विरोध में कांग्रेस सड़क पर उतरेगी। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, किसानों की समस्याओं समेत अन्य मुद्दों को लेकर शीतकालीन सत्र के दौरान 18 दिसंबर को विधान भवन का घेराव करने की घोषणा की है। प्रदर्शन में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे समेत वरिष्ठ नेता व सभी जिलों के कार्यकर्ता शामिल होंगे। विधानसभा घेराव का पोस्टर भी जारी किया। कांग्रेस की नई कमेटियों के गठन से पूर्व विधान भवन के घेराव को प्रदेश इकाई के शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व को बड़ा संदेश देने का प्रयास होगा।
उधर, कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना का कहना है कि बिजली के निजीकरण समेत सभी प्रमुख मुद्दों को सत्र में भी उठाया जाएगा। अराधना की तरफ से आरोप लगाया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर अपनी जवाबदेही से हमेशा बचती रही है। विपक्ष के सवालों के जवाब से बचने के लिए ही चार दिन का अल्प सत्र बुलाया गया है। उन्होंने सत्र का समय बढ़ाए जाने की मांग भी की।
वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में निजीकरण के रास्ते धीरे-धीरे खुल रहे हैं। इसके विरोध में भी आंदोलन की चिंगारी उभर रही है। पहले बस स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर दिए जाने की कार्रवाई शुरू हुई. इसके बाद प्रदेश के 19 रोडवेज डिपो को प्राइवेट फर्मों के हवाले कर दिया गया। हालांकि अभी इन फर्मों ने जिम्मेदारी नहीं संभाली है लेकिन, एक जनवरी से तैयारी है। निजीकरण की प्रक्रिया से परिवहन निगम के कर्मचारी चिंतित हैं। इसलिए रोडवेज यूनियन कर्मचारियों को संघर्ष के लिए जागरूक कर रही है। सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री जसवंत सिंह प्रदेश भर के रीजनों के दौरे करके कर्मचारियों से रोडवेज के निजीकरण को लेकर उनकी राय ले रहे हैं। सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ की तरफ से गत दिवस लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर एक सील बॉक्स रखा गया। इसमें रोडवेज के कर्मचारी एक प्रोफार्मा पर रोडवेज में निजीकरण को लेकर सहमत या असहमत पर टिक कर बॉक्स के अंदर डाल सकते हैं। 20 दिसंबर को यह बॉक्स खोला जाएगा और इस रेफरेंडर में सभी कार्मिक पत्र के माध्यम से सहमत या असहमत को काउंट किया जाएगा. इसके बाद निजीकरण को लेकर आंदोलन तेज किया जाएगा।