गाजे बाजे के साथ निकली घोड़ी की अंतिम यात्रा, लोगों ने नम आंखों से दी विदाई
ए मेरे दोस्त लौट के आजा... 18 साल साथ रहने के बाद घोड़ी रानी को दी अंतिम विदाई,गाजे बाजे के साथ निकली घोड़ी की अंतिम यात्रा, लोगों ने नम आंखों से दी विदाई
उदयपुर।(मुकेश मेनारिया) जानवरों के लगाव और प्रेम जगजाहिर है। कभी-कभी यह रिश्ता ऐसा हो जाता है कि उसके खोने का दुख होता है। उदयपुर जिले के वल्लभनगर उपखण्ड क्षेत्र के गांव बाठेड़ा खुर्द में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां एक घोड़ी की मौत के बाद परिवार वालों न सिर्फ उसकी गाजे बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली, बल्कि हिंदू रिति रिवाजों के साथ उसका क्रियाकर्म भी किया।
शोक में डूबा गाडरी परिवार
कुछ लोगों के लिए उनके पालतू जानवर उनके परिवार के सदस्य जैसे ही होते है। यह लोग जानवरों को खूब लाड प्यार से रखते हैं। उनके साथ खुशियां और गम बराबर से बांटते हैं। इन जानवरों की मौत पर अफसोस भी होता है। कुछ इसी तरह का हाल बाठेड़ा के गाडरी परिवार का भी है। परिवार का अजीज और प्यारी घोड़ी रानी अब इस दुनिया में नहीं है। लिहाजा पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है।
घोड़ी का अंतिम संस्कार
कभी-कभी ही सुनने में आता है कि किसी जानवर के मरने पर उनका इंसानों जैसा क्रिया कर्म किया जाता हो, लेकिन बाठेड़ा खुर्द गांव के निवासी बाबूलाल गाडरी और उनके परिवार ने ऐसा ही किया है। घोड़े की मौत के बाद परिवार ने धूमधाम और गाजे-बाजे के साथ न सिर्फ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई, बल्कि पूरे रीति रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार भी किया गया।
पिछले कुछ दिनों से थी तबीयत खराब
परिवार के सदस्य बताते हैं कि कुछ समय से घोड़ी रानी की तबीयत खराब चल रही थी। तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए उसे पशु चिकित्सालय भी ले जाया गया था, लेकिन उम्र दराज होने कारण आखिरकार उसकी मौत हो गई। अब घोड़ी रानी की मौत के बाद इस परिवार को ऐसा लग रहा है कि मानों परिवार का कोई सदस्य बिछड़ गया है। बहरहाल अपने घोड़ी के प्रति गाडरी परिवार का यह प्यार देख सभी लोग तारीफ कर रहे हैं। जानवरों के साथ क्रूरता, अन्याय की खबरें तो खूब आती हैं, लेकिन बाठेड़ा में घोड़ी रानी के साथ इंसानी व्यवहार का यह नजारा सभी को एक नई सीख देता है।