गौवंश के ग्रीष्म ऋतु एवं लू प्रकोप से बचाव हेतु की एडवाइजरी जारी
भरतपुर, 28 मई। राजस्थान गौ सेवा आयोग द्वारा गौवंश संरक्षण, संवर्धन एवं वर्तमान में अत्यधिक गर्म वातावरण से बचाव हेतु सुरक्षा की दृष्टि से एडवाइजरी जारी की गई हैं।
गौवंश में तापघात के मुख्य लक्षण - आयोग द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार तापघात के बाद गौवंश में तीव्र ज्वर की स्थिति, मुॅह खोलकर जोर-जोर से सांस लेना अथवा हांफना, मुंह से लार गिरना, गौवंश की कार्यशीलता कम हो जाना, बैचेनी की स्थिति होना, भूख में कमी और पानी अधिक पीना, पेशाब कम होना अथवा बंद हो जाना, धडकन तेज होना, कभी कभी आफरे की शिकायत होना आदि लक्षण पाये जाते है।
तापघात से बचाने के उपाय - गौवंष को सूर्य की सीधी किरणो से दूर रखें, धूप और लू से बचाव के लिए हवादार छप्पर या छायादार वृक्ष के नीचे रखें, गौवंश गृह को ठण्डा रखने के लिए दीवारों के उपर जूट के टाट लटकाकर उस पर थोडी थोडी देर में पानी छिडकाव करना चाहिए, ताकि बाहर से आने वाली हवा में ठंडक बनी रहें। इसी प्रकार पंखे या कूलर का यथा संभव उपयोग करें, गौवंश में पानी, लवण की कमी होने एवं भोजन में अरूचि होने के मध्यनजर दिन में कम से कम चार बार स्वच्छ जल गौवंश को उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि गौवंश को संतुलित आहार के साथ साथ उचित मात्रा में खनिज मिश्रण भी देना चाहिए, गौवंश को चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम को देर से भोजन चाहिए, आहार में संतुलन के लिए एंजौला घास का प्रयोग किया जा सकता हैं साथ ही आहार में गेंहू का चौकर और जौ की मात्रा बढा देनी चाहिए।