नदी के तलछट ओर मलबे को हटाने के बजाए बजरी को छान कर बाहर निकाला जा रहा
जहाजपुर (आज़ाद नेब) ईआरसीपी प्रोजेक्ट मे बीसलपुर बांध से गाद (silt) निकालने का ठेका 20 साल के लिए गुजरात की फर्म एन जी गढ़िया को दिया गया जिसके तहत सरकार इस फर्म को बांध से गाद निकालने के लिए 258 करोड़ रुपए का टेंडर दिया। गाद निकालने के पीछे सरकार की मंशा थी कि बीसलपुर बांध के पेंदे में जमा पत्थर, बजरी, मिट्टी निकालने से गहराई बनी रहेगी ओर पानी स्टोरेज में इज़ाफ़ा होगा। राजस्थान सरकार ने 7 अक्टूबर 2023 को नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि खनिज रियायत नियम, 2017 के तहत बीसलपुर बांध में डी-सिल्टिंग और ड्रेजिंग का कार्य केवल संबंधित बांध/जल भंडार के डूब क्षेत्र तक ही सीमित रहेगा। डी-सिल्टिंग का मतलब है महीन गाद और तलछट को हटाना ओर ड्रेजिंग कार्य यानि नदी के नीचे से तलछट ओर मलबे को हटाना आमतौर पर ड्रेजिंग का मुख्य उद्देश्य पानी की अधिक गहराई बनाना होता है। बांध से निकलने वाली बजरी 130 रुपए प्रति टन एवं नियमानुसार टैक्स देय होगा।
फर्म द्वारा नदी के नीचे से तलछट ओर मलबे को हटाने के बजाए बजरी को छान कर बाहर निकाल रही है बाकी मलबे मिट्टी, पत्थर को नदी में ही छोड़ रही है, बांध के डूब क्षेत्र सीमा से बाहर आकर बजरी निकाल मलबे को नदी से नहीं हटा कर नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। नियमों की पालना कराने वाले अधिकारी आंखें मूंद कर बैठे हैं।
गौरतलब है कि बीसलपुर बांध का पूर्ण भराव स्तर 315.50 आरएल मीटर है। राष्ट्रीय जल परियोजना के तहत 2021 में स्टडी करवाई गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2004 से 2021 तक बांध में 65.90 मिलियन क्यूबिक मीटर में सिल्ट-बजरी जमा हो गई। इससे बांध की 6 प्रतिशत भराव क्षमता कम हो गई। हर साल 3.88 मिलियन क्यूबिक मीटर बजरी जमा हो रही है। बांध और नदियों में बजरी को लेकर दो साल पहले मुंबई की ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया विशाखापट्नम कंपनी ने सर्वे किया था। प्रदेश में पहली बार किसी बांध की मशीन से खुदाई की जा रही है। बजरी निकालने के बाद बीसलपुर में ईसरदा बांध (92 मिलियन क्यूबिक मी.) जितना पानी और आएगा। बांध से 5 मीटर तक बजरी निकाली जाएगी। इससे सरकार को हर महीने ₹ 50 करोड़ की कमाई होगी और 20 साल तक ₹ 600 करोड़ बजरी के माध्यम से सरकार को आय होगी।