डीएपी की किल्लत,जमकर हो रही कालाबाजारी,खाद विक्रेताओं की मनमानी-किसान बोले हे प्रभो डीएपी दिला दो
भरतपुर (कोशलेन्द्र दत्तात्रेय)
कृषि विभाग एवं प्रशासन की लापरवाही एवं खाद विक्रेताओं की मनमानी के कारण नदबई व वैर उपखण्ड में खुलेआम डीएपी की कालाबाजारी तथा जमाखोरी होने से डीएपी खाद की किल्लत हो रही है। जिसका खाद विक्रेता जमकर लाभ उठा रहे है और मनमानी दामों पर डीएपी खाद को बेच कर किसानों का शोषण करने से नही चुक रहे। साथ ही अब सरकारी व अर्द्ध सरकारी एजेन्सी भी नही चुक रही। ये सब डीएपी कट्टे पर इन्द्राज दर 1350 रू. की जगह 1600 रू से 1700 रू तक वसूल रहे है। इस राशि को अदा नही करने पर खाद के कट्टे के साथ खाद कम्पनी के अन्य उत्पादक क्रय करने को वाध्य करने को मजबूर कर देते है। किसानों को अब सरसों बुवाई की अधिक चिन्ता है,जो कालाबाजारी की दर पर डीएपी क्रय करने लगे है। जिससे खाद विक्रेताओं की चांदी हो रही है। जिले के कई उपखण्ड एवं कस्वा में डीएपी पुलिस के पहरे में बिक रहा है,जहां किसानों की लम्बी कतार लग जाती है,वहां भी दंबग लोग एवं नेता हावी नजर आते है। ऐसी हालत पर किसानों के मुख से एक ही वाक्या सुनाई देता है। हे प्रभो डीएपी दिला दो,,,,,,,।
- क्या बोल रहे किसान
गंव हन्तरा के किसान रामपाल ने बताया कि सरसों की बुवाई का समय है,किसानों को डीएपी खाद नही मिल रहा। पडौसी गांव हतीजर में खाद विक्रेता मनमानी दाम पर डीएपी बेच रहे है। मेरे पास 20 वीद्या भूमि है,सरसों की बुवाई को करीब 8 कट्टा डीएपी खाद चाहिए। मुझे 1700 रू. प्रति कट्टा की दर से 5 कट्टा क्रय करने पडे। गांव अरोदा के मोहन सिंह ने बताया कि कृषि विभाग के आलाधिकारी चुपी लगाए खाद की जमाखोरी एवं कालाबाजारी का नजारा देख रहे है। शिकायत करने पर ये ध्यान नही दे रहे। कस्वा नदबई निवासी सुरज्ञान ने बताया कि कस्वा में एक दर्जन खाद की दुकान है,जिनके स्टाक में डीएपी निल है,लेकिन उनके अस्थाई गोदाम में डीएपी भरा पडा है। जो 1350 रू के स्थान पर 1600 से 1700 रू वसूल रहे है।
- ये भी नही चुक रहे
भाकियू नेता केदार गुर्जर एवं सोहनलाल ने बताया कि खाद विक्रेता तो खुलेआम डीएपी खाद की कालाबाजारी कर रहे है। अब सरकार के द्वारा बनाए गए एफपीओं तथा सहकारी समिति भी कालाबाजारी करने से नही चुक रही। हमे पता चला कि कस्वा वैर,छौकरवाडा कला,अटारी में संचालित एफपीओ और सहकारी समिति पर खाद मिल रहा है। हम गए,तो हमे बिना खाद दिए लौटा दिया,बोले कि आप सदस्य नही है। उसके बाद हमे एक सदस्य ने 1600 रू प्रति कट्टा की दर से डीएपी उपलब्ध करा दिया।
- क्या कहते है अधिकारी
कृषि विभाग के संयुक्त निदेषक रमेशचन्द्र महावर ने बताया कि जिले में सरसों की बुवाई का समय है। डीएपी की कमी है। किसान डीएपी के स्थान पर सुपरफास्ट और यूरिया मिला कर सरसों की बुवाई कर सकते है। जिले में कई एफपीओ एवं सहकारी समिति पर डीएपी है,जहां से किसान उचित दर पर क्रय कर सकते है। जो डीएपी खाद की जमाखोरी एवं कालाबाजारी कर रहा है,उसकी शिकायत करे,विभाग उसके खिलाफ अवश्य कार्यवाही करेगा।