शीत लहर से करें बचाव , ठंड से हो सकते हैं दुष्प्रभाव
लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) कमलेश जैन
उपखंड क्षेत्र में इन दिनों भीषण ठंड और शीतलहर के प्रकोप को आम जन झेल रहा है। दिन का कम तापमान लोगों के लिए ठंड के इस मौसम को काफी कठिन बना सकता है। अत्यधिक ठंडा मौसम न केवल असुविधाजनक होता है बल्कि स्ट्रोक से लेकर दिल के दौरे जैसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का कारण भी बन सकता है। खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रूपेंद्र शर्मा ने इस मौसम में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते हुए रहने की सलाह दी हैं।
उन्होंने कहा कि सिर्फ बच्चे-बुजुर्गों के लिए ही नहीं, युवाओं की सेहत पर भी अत्यधिक ठंड-शीतलहर का दुष्प्रभाव हो सकता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त की आपूर्ति करने वाली हमारी वाहिकाएं ठंड की प्रतिक्रिया में सिकुड़ जाती हैं। जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है। लंबे समय तक ठंडे तापमान के संपर्क में रहने से हाइपोथर्मिया हो सकता है, जो मस्तिष्क के कार्य को बाधित करने के साथ तंत्रिका संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। शीतलहर का सीजन अस्थमा, सीओपीडी और फेफड़ों के विकारों से पीड़ित लोगों में श्वसन संबंधी लक्षणों को भी बढ़ा सकता है।
क्या कहते हैं डॉक्टर ?
अत्यधिक ठंड, हृदय और तंत्रिका संबंधी स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे दिल के दौरे से लेकर ब्रेन स्ट्रोक तक का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि बहुत अधिक ठंड के जानलेवा दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। ठंडे मौमस से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए सबसे जरूरी है कि इन दिनों विशेष बचाव करें, गर्म कपड़े पहने, शरीर की गर्म रखें। ये सभी उम्र के लोगों के लिए जरूरी है।
जानलेवा हृदय की समस्याएं
बढ़ती ठंड-शीतलहर का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव हृदय स्वास्थ्य पर देखा जाता है, ठंड के दिनों में हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ने लगते हैं। असल में ठंड के कारण वाहिकासंकुचन शुरू हो जाता है, जिससे रक्तचाप और हृदय गति बढ़ जाती है। इससे हृदय प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जो दिल का दौरा पड़ने के खतरे को बढ़ा सकती है। इसके अलावा, ठंड के कारण रक्त भी गाढ़ा हो जाता है, जिससे थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक दोनों का कारक हो सकती है।