जन आस्था व मनोकामना का दरबार मुर्रिका सिद्ध बाबा मंदिर

रूपबास, (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) ग्राम मुर्रिका रूपवास बयाना स्टेट हाईवे पर दाहिना गांव के मोड़ से 2 कि.मी. पहाड़ियों पर स्थित सिद्ध बाबा मंदिर जन जन की आस्था एवं मनोकामना का दरबार बनकर अटूट विश्वास के साथ मनोकामना के लिए श्रद्धालु हाजिरी लगाते हैं
शिक्षाविद हरि शंकर शर्मा ने बताया कि बुजुर्गों एवं मंदिर महंत बालकदास ने बताया कि 700 वर्ष पूर्व मुर्रिका के पहाड़ी पर एक सिद्ध पुरुष रहते थे। ग्राम चान्दौली में शुक्ला परिवार के नवजात शिशु को बहु प्रतिदिन घूंघट में बच्चों को ससुर के लिए खिलाने के लिए गोद में देकर जाती थी लेकिन एक दिन सिद्ध पुरुष नाहर के भेष में ग्राम चान्दौली पहुंचकर ससुर की अनुपस्थिति में बालक को बहु से लेकर ग्राम मुर्रिका की पहाड़ियों पर चला गया तथा बाद में ससुर के आने पर बच्चे के बारे में जानकारी दी तो चरागाहों ने बताया कि उसे नाहर पहाड़ियों पर ले गया है तथा नाहर से चारागाह महिला ने प्रार्थना कि बच्चा तुम्हारा नहीं है उसे जननी की पीड़ा को समझो इसके बाद नाहर वास्तविक रूप सिद्ध पुरुष के रूप में प्रकट होकर बालक को वापस कर दिया उसी दिन से आज तक सिद्ध पुरुष की पूजा होती है यह महिला अंधाना गुर्जर थी जिस पर ब्राह्मण परिवार ने गुर्जर परिवार को आधी जमीन 1500 बीघा दी आज भी गुर्जर एवं शुक्ला परिवार मिलजुलकर रहते हैं जो एकता का प्रतीक हैं ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि पूर्व प्रधान सालिगराम शर्मा ने कमरा एवं बरामदा बनवाकर मंदिर का रूप दिया। विधायक रितु बनावत के ससुर स्वर्गीय रमेश सेठ का भी योगदान इस मंदिर पर रहा है मुर्रिका निवासी भगवान चंद्र चरोरा शर्मा पहाड़ियों पर चढ़ने की परेशानी को देखते सीढ़ियों का निर्माण शीघ्र कराएंगे एवं भक्तों का भी योगदान रहा है, बाबा बालक नाथ के सानिध्य में प्रति माह धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। आसपास के ग्रामीणों द्वारा प्रतिमाह पूर्ण मासी को 3 किलोमीटर पहाडी की परिक्रमा लगाकर श्रद्धालु सिध्धबाबा मंदिर के दर्शन कर मनौती मांगते है।






