राहत का इंतजार -भीलवाड़ा से नाथद्वारा वाया गगांपुर, राजसमन्द , काकरोली नवीन रेलवे लाइन परियोजना

आजादी के पहले से चल रहा नई too रेलवे लाईन प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जनप्रतिनिधियों का ध्यान नही

Jan 7, 2024 - 16:39
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राहत का इंतजार -भीलवाड़ा से नाथद्वारा वाया गगांपुर, राजसमन्द , काकरोली नवीन रेलवे लाइन परियोजना

मेवाड़ का विकास, व्यापार,रोजगार, पर्यटन,यात्री सुविधा व देश की कनेक्टिविटी पर खासा असर

गुरलाँ (बद्रीलाल माली)   उत्तर पश्चिम रेलवे खण्ड में नाथद्वारा से जयपुर तक रेल लाइन सर्वे हो चुका है, नाथद्वारा से भीलवाड़ा, केकड़ी, टोडारायसिंह नगर होते हुए सांगानेर तक नई लाईन बिछाने के लिए आग्रह किया था। इस पर दिसम्बर 1983 में इस रेल लाइन के लिए सर्वे शुरू किया गया। सर्वे पर रेलवे ने 70 लाख रुपए खर्च किए थे। चार साल तक सर्वे की रिपोर्ट पश्चिमी रेलवे ने 1987 में रेलवे बोर्ड को भेजी थी। तब इस प्रस्तावित रेल मार्ग की लंबाई 237 किमी और लागत 74.13 करोड़ रुपए आंकी गई। इस योजना में नाथद्वारा, मंडियाना रेलवे स्टेशन को नाथद्वारा नगर के पास लाते हुए सर्वे हुआ था। कोठारिया, रेलमगरा, कुरज, पोटला, गंगापुर, भीलवाड़ा, मांडल बनेड़ा, शाहपुरा, कादेड़ा, केकड़ी, टोडारायसिंह, मालपुरा, डिग्गी, फागी, सांगानेर को जोड़ना था।

लेकिन 1988 में रेलवे बोर्ड ने इस योजना को घाटा देने वाली घोषित कर दिया। इस रिपोर्ट के बाद में जनप्रतिनिधियों के दबाव पर रेलवे बोर्ड ने 1992 में दोबारा सर्वे के लिए अनुमति दी थी। भीलवाड़ा सांसद सीपी जोशी केन्द्र में रेलवे मंत्री के समय भी इस रेलवे लाइन की वापिस सर्वे करने का आदेश जारी किया गया परन्तु रेलवे मन्त्रालय जाने के साथ ही आगे की कार्रवाई रूक गई वर्ष 2013-14 में नाथद्वारा-कंक्रोली-गंगापुर-भीलवाड़ा नई लाइन परियोजना का सर्वे पूरा हो चुका है।   भीलवाड़ा से नाथद्वारा नई*सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 111 किलोमीटर लंबी नई लाइन परियोजना की लागत 6.56 प्रतिशत की नकारात्मक दर के साथ 916.87 करोड़ रुपये आंकी गई है। सांसदों, जन प्रतिनिधियों आदि की मांगों के आधार पर, रेलवे बोर्ड की सिफारिश पर 14 प्रतिशत से कम रिटर्न की दर वाले कुछ प्रस्तावों को आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए संसाधित किया जाता है।  

इन प्रस्तावों को माननीय एमआर का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद 'सैद्धांतिक' अनुमोदन के लिए योजना आयोग को भेजा जाता है

जहाँ देश विकास की ऊँचाई छु रहा है वही देश के राजस्थान के मेवाड़ में रेलवे लाइन पर आजादी के पहले रेलवे लाइन डालने की मांग चल रही है वह अभी भी तरस रहा है नवीन रेलवे लाइन जयपुर से नाथद्वारा वाया टोडारायसिह, केकड़ी, भीलवाड़ा, गंगापुर राजसमंद का कई बार सर्वे हो चुका परन्तु रेलवे ने घाटे का सौदा बता कर नई रेलवे लाइन की स्वीकृति नहीं दी परन्तु मेवाड़ क्षेत्र के विकास, रोजगार, पर्यटन के लिए भीलवाड़ा से नाथद्वारा वाया गगांपुर राजसमन्द नवीन रेलवे लाइन विकास के लिए अहम योगदान निभाएगा

  • उधोग व विकास के लिए अहम भूमिका
    नई रेलवे लाइन से मेवाड़ के उधोगो  व विकास के लिए अहम भागिदार होगी भीलवाड़ा टेक्सटाइल हब है, गंगापुर मिनरल्स के रूप में, राजसमन्द, काकरोली में मार्बल का व्यवसाय देश के मुख्य उधोग का रेलवे से देश के मुख्य शहरों से कनेक्टिविटी होने पर यह उधोग अच्छी प्रगति करेंगे
  • पर्यटक की दृष्टि से रेलवे लाइन की आवश्यकता
    नाथद्वारा के श्रीनाथजी का विश्व प्रशिद्ध मन्दिर, महाराणा प्रताप की युद्ध भुमि हल्दी घाटी, रणकपुर, कुम्भलगढ़, काकरोली का द्वारकाधीश मन्दिर ,परसराम महादेव प्रसिद्ध धार्मिक स्थल एवं बाघेरी का नाका, राजसमन्द झील की नौ चोकी फिल्मी जगत के लिए फेमस है गंगापुर में सिधिया परिवार के प्रसिद्ध गंगाबाई का मंदिर, भरका देवी मन्दिर, भीलवाड़ा का काश्मीर गुरलाँ में कालिका माँ का मन्दिर आदि प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर पर्यटकों का तांता लगा रहता है यात्री सुविधाओं के लिए भीलवाड़ा से नाथद्वारा रेलवे खण्ड बहुत आवश्यक है
  • सर्वे में करोड़ों रूपये खर्च
    उत्तर पश्चिम रेलवे खण्ड  के भीलवाड़ा से नाथद्वारा वाया गगांपुर राजसमन्द रेलवे लाइन की मांग आजादी के पहले से की जा रहीं हैं इस लाइन का सर्वे हो चुका और दुसरी बार रेलवे मंत्री सीपी जोशी ने भी इस प्रोजेक्ट पर काम चालू किया परन्तु सरकार नहीं रहने से यह नवीन रेलवे लाइन का प्रोजेक्ट ठडे बस्ते में चला गया
  • आगे क्या होगा
    इस रेलवे लाइन के राजस्थान के मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, रेलवे मंत्री, क्षेत्र के सांसदों व विधायको को मिल कर इस नवीन रेलवे लाइन के लिए अहम मिटिंग रखीं जानी चाहिए राज्य सरकार को रेलवे लाइन के लिए निशुल्क भुमि आंवटन करना सांसद फण्ड से कुछ राशि व रेलवे मंत्रालय द्वारा भी बजट जारी कर रेलवे लाइन की स्वीकृति प्रदान करे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, समाज सेवी, उधोगपतियों, आमजन द्वारा सरकार व रेलवे बोर्ड पर दबाव डाल कर रेलवे लाइन की स्वीकृति की मांग करनी चाहिए

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