विश्व सर्प दिवस पर सर्पमित्रों ने लोगों को जानकारी देकर किया जागरूक
गुरला :- वर्षभर में अक्सर हमें कई तरह के दिवस मनाने का अवसर मिलता हैं जिसे हम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते आये हैं। मगर क्या कभी सर्प जैसे जहरीले जीव के बारे में सुना हैं क्या या कभी सर्प दिवस मनाया याद आता हैं क्या। हैं ना आश्चर्य चकित कर देने वाली बात। पर यह सत्य हैं की सर्प दिवस भी मनाया जाता हैं और इसकी शुरुआत सबसे पहले जाने माने एक सर्पमित्र चमन सिंह चोहान ने 16 जुलाई को की थी। तब से आज तक वो 16 जुलाई को सर्प दिवस मनाते आ रहे हैं।
वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर के सचिव व वन्यजीव रक्षक कुलदीप सिंह राणावत ने बताया की वाइल्ड एनिमल रेस्क्यु सेन्टर उदयपुर के अध्यक्ष चमन सिंह चौहान के मुख्यातिथ्य में आज मंगलवार को विश्व सर्प दिवस मनाया गया।
राणावत ने बताया कि सर्प दिवस के मौके पर आमजन को सर्पों के संबंध में अहम जानकारियां दी गई साथ ही उनसे सुरक्षित रहने के तरीके भी बताए।
वाइल्ड एनिमल रेस्क्यु सेन्टर उदयपुर के अध्यक्ष चमन सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहाँ की सांप धरती पर पाए जाने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण सरीसृप प्राणी हैं। जिनकी पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए प्रतिवर्ष सर्पों के प्रति जन जागरूकता के उद्देश्य से 16 जुलाई को वर्ल्ड स्नेक डे मनाया जाता रहा हैं।
चौहान ने बताया की धरती पर लगभग 3 हजार प्रकार के सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से भारत में लगभग 300 और मध्यप्रदेश में लगभग 44 प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें कोबरा, रसल वाइपर, करैत फुर्सा विषैले और अजगर, धामन जैसे अन्य सर्प भी इस पृथ्वी के संतुलन को बनाने के लिए खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
चौहान बताते हैं कि चूहों का भक्षण कर सांप चूहों से फैलने वाली गंभीर बीमारी को नियंत्रण करने, गंभीर बीमारियों में उपचार के साथ-साथ हमारी फसलों और खाद्यान्नों की सुरक्षा करते हैं। इसी कारण सांपों को किसानों का मित्र भी कहा जाता हैं। चौहान कहते हैं कि लोग सांपों को भयवश मार देते हैं जिसके चलते इनकी आबादी पर गहरा संकट मंडरा रहा हैं। और आज हमें जरूरत हैं कि हम सांपों का प्राकृतिक महत्व समझें और इनका संरक्षण करें। सांप जैसे वन्य प्राणियों की बदौलत ही पर्यावरण एवं जैव विविधता में संतुलन बनाया हुआ हैं। लंबे समय से सर्प संरक्षण में कार्य कर रहे सर्पों को बचाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। कई स्थानों संस्थाओं में कार्यशाला के माध्यम से लोगों में फैले हुए अंधविश्वास व गलत भ्रांतियों को दूर करने के साथ ही साथ विभागीय अमले को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं।
- बद्रीलाल माली