पट्टों की फाइल नहीं रोक सकेंगे मेयर -सभापति और चैयरमेन: 15 दिन में करने होंगे साइन, पट्टे धारक की लगाई जाएगी फोटो
पट्टों के प्रारुप में भी हुआ बदलाव
जयपुर (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) राजस्थान में सभी नगर पालिकाओं ,नगर परिषदों और नगर निगमों में अब मेयर -सभापति और चेयरमैन आमजन के पट्टों की फाइल को 15 दिन से ज्यादा समय तक नहीं रोक सकेंगे। सरकार ने इस नियम में बदलाव किया है।15 दिन से ज्यादा तक रोकी गई फाइल को सीधे सरकार (डीएलबी के डिप्टी डायरेक्टर )के पास भिजवाने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही जमीन , मकान या आवास के पट्टों के प्रारुप में भी बदलाव किया गया है। इसमें अभियान का लोगो हटाते हुए केवल अब पट्टेधारक का ही फोटो लगाने के लिए कहा है।
19 सितम्बर को जारी किया आदेश - स्वायत्त शासन निदेशालय के निदेशक और विभाग के विशिष्ट सचिव कुमार पाल गौतम ने 19 सितम्बर को आदेश जारी किया है। आदेश में बताया - निकायों द्वारा जारी पट्टों का प्रारुप 10 सितम्बर 2021 में निर्धारित किया गया था। प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान पट्टों पर मुख्यमंत्री की फोटो होती थी। मौजूदा सरकार ने इस प्रारुप में बदलाव करते हुए अब पट्टा बिल्कुल सामान्य रखने का निर्णय लिया है।पट्टे पर केवल पट्टेधारी की फोटो ही चिपकाने का निर्णय किया है। पट्टों पर अब अभियान का लोगो भी नहीं लगाया जाएगा।
अभी पट्टे जारी करने में इसलिए लगता है समय
- पहले पट्टों पर आयुक्त -उपायुक्त या अधिकारी अपने साइन करते हैं।
- फिर मेयर , सभापति या चेयरमैन को भिजवाते है।
- निकाय प्रमुख मंशानुसार या समय स्थिति को देखते हुए साइन करते हैं।
- गलत मंशा से लम्बे समय तक पट्टों पर साइन ही नहीं करते हैं।
ऐसे प्रकरणों को देखते हुए अब सरकार ने निकाय प्रमुखों के पास ऐसी फाइलों को रोकने की समय-सीमा निर्धारित कर दी है। अगर निकाय प्रमुख 15 दिन तक पट्टे और उसकी पत्रावली पर हस्ताक्षर नहीं करता है तो उस फाइल को निकाय का आयुक्त - उपायुक्त या अधिशाषी अधिकारी डीएलबी के उपनिदेशक (क्षेत्रीय ) के पास भिजवा सकेगा। वहां से उपनिदेशक फाइल पर साइन करके लाभार्थी को पट्टा जारी कर सकेगा।
इसलिए किया निर्णय - पिछली सरकार में जयपुर नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर पर एसीबी ने कार्रवाई की थी ।इसी तरह का मामला सामने आया था। मेयर मुनेश गुर्जर पट्टों की फाइलों को साइन करने के लिए अपने निजी आवास पर ले जाती थी। जहां फाइल को लम्बे समय तक रखे रखती थी। मेयर के खिलाफ एसीबी 2502 पन्नों की चार्जशीट पेश कर चुकी है।
रिश्वत कांड में मेयर की भूमिका सामने आई
- एसीबी ने 4 अगस्त 2023 को मेयर के घर छापा मार पति सुशील गुर्जर को 2 दलाल के साथ गिरफ्तार किया था ।
- सुशील गुर्जर पर आरोप था कि पट्टे के एवज में दलालों के माध्यम से रिश्वत मांगी थी।
- घर से पट्टे की फाइल ,41 लाख और दलाल नारायण सिंह के घर से 8 लाख 95 हजार रुपए मिले
- एसीबी की जांच में मेयर मुनेश गुर्जर की भूमिका भी सामने आई थी।
- अब तक ऐसे चला घटनाक्रम
- 4 अगस्त 2023 को एसीबी की कार्रवाई के बाद 5 अगस्त को स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश गुर्जर को मेयर और पार्षद पद से निलंबित किया था।
- 23 अगस्त 2023 को मुनेश गुर्जर को कोर्ट से राहत मिली और मुनेश गुर्जर मेयर की कुर्सी पर फिर बैठ गई।
- 1सितम्बर 2023 को राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलंबित करने का फैसला वापस ले लिया
- 22 सितम्बर 2023 को फिर निलंबित किया गया था।
- निलंबन के आदेश के खिलाफ मुनेश गुर्जर ने 26 सितम्बर 2023 को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
- याचिका में मुनेश गुर्जर ने कोर्ट से कहा था कि सरकार ने एक बार फिर उन्हें कानून से विपरीत और तथ्यों से परे जाकर निलंबित किया है।
- मुनेश गुर्जर दिसम्बर 2023 में फिर मेयर बन गई थी।