राष्ट्रीय लोक अदालत हेतु प्री-काउन्सिलिंग
भरतपुर, 17 दिसम्बर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार वर्ष 2024 की चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 22 दिसम्बर 2024 को भरतपुर न्याय क्षेत्र में किया जा रहा है।
उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत प्री-लिटिगेशन सहित न्यायालयों में लंबित प्रकरणों यथा धारा 138, परक्राम्य विलेख अधिनियम, बैंक रिकवरी मामले, श्रम विवाद, पानी व बिजली के बिल (अशमनीय के अलावा) एवं अन्य (दाण्डिक शमनीय, पारिवारिक एवं अन्य सिविल विवाद) एवं लम्बित प्रकरणों में शमनीय दाण्डिक अपराध अन्तर्गत धारा 138, परक्राम्य विलेख अधिनियम, बैंक रिकवरी मामले, एम.ए.सी.टी. मामले, श्रम विवाद, बिजली व पानी के बिल (अशमनीय के अलावा), वैवाहिक विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले (केवल जिला एवं उच्च न्यायालय में लम्बित), मजदूरी, भत्ते और पेंशन भत्तों से सम्बन्धित मामले, राजस्व मामले (केवल जिला एवं उच्च न्यायालय में लम्बित), अन्य सिविल मामले (किराया, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा दावे एवं विनिर्दिष्ट पालना दावे) आदि से सम्बन्धित प्रकरणों के निस्तारण हेतु आयोजित की जा रही है।
प्राधिकरण सचिव अनुतोष गुप्ता ने बताया कि गत राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता को देखते हुए पक्षकारों, बैंकिग सेक्टर, बीमा कंपनियों आदि सहित अधिवक्तागण में भी लोक अदालत को लेकर भारी उत्साह है, जो प्रकरणों में की जा रही प्री-काउंसलिंग में भी देखने को मिल रहा है। लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामें से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारान् की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। लोक अदालत में शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, सिविल कोर्ट के आदेश की तरह पालना, कोर्ट फीस की वापसी, अंतिम रूप से निपटारा तथा समय की बचत होती है। कोई भी पक्षकार या अधिवक्ता अपने प्रकरण को सीधे ही न्यायालय अथवा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व तालुका विधिक सेवा समिति में जाकर लोक अदालत हेतु रखवा सकता है। प्राधिकरण सचिव के द्वारा सभी अधिवक्तागण एवं पक्षकारों से प्रकरणों को राजीनामें के माध्यम से अधिक से अधिक निस्तारण तथा राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन हेतु सहयोग प्रदान करने की अपील की है।
इसी क्रम में मंगलवार को जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में प्री-काउन्सिलिंग के माध्यम से कुल 15 प्रकरण राजीनामा के माध्यम से निस्तारित कराए गए। साथ ही मोटरवाहन दुर्घटना दावा अधिकरण प्रकरणों में इंश्योरेन्स कम्पनियों के अधिवक्तागण द्वारा प्री-काउन्सिलिंग करवाई गई।
- कोशलेन्द्र दत्तात्रेय