जहां गौमाता का निवास होता है वहां के लोगों को भगवान श्री कृष्ण की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है---- मल्लूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास

Jul 27, 2021 - 02:20
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जहां गौमाता का निवास होता है वहां के लोगों को भगवान श्री कृष्ण की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है---- मल्लूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास

 

डीग /पदम जैन 

 ड़ीग -26 जुलाई ब्रज के प्रसिद्ध संत मलूक पीठाधीश्वर  राजेंद्र दास जी देवाचार्य के वृंदावन से डीग क्षेत्र की जड़ खोर सुरभि गौशाला में चातुर्मास ब्रज रजवास के विश्राम के जाते हुए समय ड़ीग के लक्ष्मण मंदिर डीग पर  शिष्यों के साथ पधारे।जंहा उनका लक्ष्मण मंदिर के प्रांगण में मंदिर के महंत  मुरारी लाल पाराशर के सानिध्य में वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ स्वागत एवं पूजन किया गया।
इस अवसर पर मलूक पीठाधीश्वर  राजेंद्र दास जी महाराज ने कहा कि  लक्ष्मण जी भगवान के सबसे प्रिय भक्त हैं। प्रलय के बाद जब सब कुछ समाप्त हो जाता है और जो शेष बचता है वहीं लक्ष्मन जी हैं ।भगवान श्री को अपनी गोद में लेते हैं जो उनकी गोद में सो जाते हैं। स्वयं ही छत्र बनकर छाया करते हैं अपने शरीर के अंगों के द्वारा सीढ़ी बनाते हैं।  भगवान का तकिया भी स्वयं बनते हैं। ऐसे ही श्री शेष जी को श्री हरि, राम अवतार में  अपना छोटा भाई लक्ष्मण बनाते हैं। जो अहर्निश उनकी सेवा में अपना जीवन लगाते हैं। कृष्ण अवतार में उन्हें अपना बड़ा भाई बलराम यानी दाऊजी बनाते हैं ।जो ब्रज के राजा हैं ।वही  लक्ष्मण जी भरतपुर रियासत  के राजाओं के ईष्ट है ।श्री लक्ष्मण जी ने ही रामानुजाचार्य के रूप में दक्षिण में भक्ति का प्रचार किया। पतंजलि ऋषि भी श्री शेष जी का अवतार है। ब्राह्मण कन्या स्नान करने के बाद जैसे ही सूर्य भगवान को अंजलि से जल देने लगी तो अचानक उनकी अंजलि में एक सर्प आ गया। कन्या ने अंजलि के जल को जैसे ही नदी में छोड़ा। नदी से पतंजलि ऋषि प्रकट हो गए । इसी लिये इनका नाम पतंजलि हुआ। इन्हीं पतंजलि ने योग शास्त्र के साथ साथ एक आयुर्वेद ग्रंथ भी रचा। मलूक पीठाधीश्वर महाराज  ने जड़खोर गौशाला में दो माह रहने का निर्णय लिया है। उनका मुख्य उद्देश्य प्रकृति का संरक्षण और यहां के पर्वत वृक्ष एवं गोवंश की रक्षा करना है। वर्तमान में इस गौशाला में 11,000 गोवंश है। महाराज जी ने वताया कि स्कंद पुराण में डीग का प्राचीन नाम दीर्घपुर है। यहां बाबा नंद की लाखों गायों का संरक्षण होता था। बाबा नंद की सबसे बड़ी गौशाला दीर्घ पुर में ही स्थित थी। महाराज श्री ने कहा कि जहां गो माता का निवास होता है। वंहा के लोगो को भगवान श्री कृष्ण की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती हैं।

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