राजस्थान में बाहर घूमती गायों को आवारा कहने पर रोक
जयपुर (कमलेश जैन) राज्य सरकार के गोपालन विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में आदेश जारी किए हैं ।गौवंश के लिए आवारा शब्द का इस्तेमाल करना अनुचित और अपमानजनक है। ये हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के विपरीत है।
राजस्थान सरकार ने गायों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शब्दावली को लेकर नया फैसला सुनाया है । कहा गया है कि अब से गाय को 'आवारा' कहकर नहीं बुलाया जाएगा। भजनलाल सरकार ने इस शब्द को लेकर आपत्ति जाहिर की और इसकी जगह पर ‘सम्मानजनक’ शब्द इस्तेमाल करने की अधिसूचना जारी की है। कहा गया कि अब बाहर घूमती गायों को ‘निराश्रित’ या ‘बेसहारा’ कहकर ही बुलाया जाएगा।
राज्य सरकार के गोपालन विभाग ने 27 अक्टूबर की रात को प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में आदेश जारी किए हैं। गोपालन विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने लिखा,गौवंश हमारी सांस्कृतिक धरोहर का महत्तवपूर्ण हिस्सा हैं। आज के समय में अलग अलग कारणों से कुछ गौवंश निराश्रित और बेसहारा हो जाते हैं। उन्हें असहाय स्थिति में सड़कों या अन्य सार्वजनिक जगहों पर देखा जाता है।इन गौवंश के लिए आवारा शब्द का इस्तेमाल करना अनुचित और अपमानजनक है। ये हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के विपरीत है।
स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले गौवंश को आवारा ना कहकर निराश्रित या बेसहारा गौवंश कहकर संबोधित किया जाना सही है। ये शब्दावली इन गौवंश के प्रति संवेदनशीलती, सम्मान और करुणा प्रकट करती है।
कहा गया कि सारे राजकीय और अनुदानित संस्थाएं गौवंश के लिए इसी शब्दावली का इस्तेमाल करे।साथ ही हर राजकीय आदेश, दिशा निर्देश, सूचना पत्र, रिपोर्ट में भी 'आवारा' की जगह 'निराश्रित या बेसहारा गौवंश' का इस्तेमाल करने को कहा गया है। इससे पहले राजस्थान में गाय को राज्य माता का दर्जा देने की मांग भी उठी थी।