सुलभ नहीं सुविधाः गाँव में नहीं महिला टॉयलेट (पेशाब घर), निजी घरों में लेनी पड़ती शरण
गुरलाँ में सार्वजनिक राह पर महिलाओं को नसीब नहीं पेशाब घर की 'सुविधा'
गुरलाँ (बद्रीलाल माली) गुरलाँ में बस स्टैंड से लेकर बाजार एवं आवासीय कॉलोनियों में महिलाओं के लिए प्रसाधन (टॉयलेट) की सुविधाजनक व्यवस्था नहीं है। गुरलाँ सार्वजनिक स्थलों के प्रसाधन स्थलों नहीं है पेशाब घर। कहीं प्रसाधन नहीं है और यदि है तो उनमें सुविधा नहीं है। गंदगी बाहर तक फैली रहती है। ऐसे में महिलाओं को परेशानी भुगतनी पड़ती है।
मकसद, महिलाओं को सुविधा मिल सके। पचायत मुख्यालय का बस स्टैंड के आसपास परिसर में भी महिलाओं के लिए सार्वजनिक रूप से प्रसाधन की सुविधा नहीं है। बाहर से महिला यात्री के लिए यहां व्यवस्था नहीं बाहर से आने वाली महिलाओं के लिए पुख्ता सुविधा नहीं है।
महिला टॉयलेट (पेशाब घर) को तोडकर अतिक्रमण किया
गुरलाँ बस स्टैंड पर एक मात्र पुरुष व महिला टॉयलेट (पेशाब घर)हाईवे पर ग्राम पंचायत ने ही पुरानी विधालय परिसर में टॉयलेट बनाया जिस पर महिला टॉयलेट (पेशाब घर) को तोडकर अतिक्रमण कर दुकान का गेट लगा दिया यह सब ग्राम पंचायत को मालूम होते हुए भी धृतराष्ट्र बन कर अतिक्रमण करने दिया
ग्राम पंचायत बनी धृतराष्ट्र करने दिया अतिक्रमण
गुरलाँ ग्राम पंचायत महिला पुरुष टॉयलेट हाईवे पर स्थित है एक मात्र पुराने विधालय परिसर में बनाया गया हजारों रूपये सरकारी खर्च करने के बाद सुविधा मिलीं परन्तु महिला पेशाब घर के पास वाले ने तोडकर अतिक्रमण कर दुकान निकाल दिया जिस पर संरपच, सचिव दोनों ही धृतराष्ट्र बन कर अतिक्रमण करने में सहयोग का काम किया जिससे महिलाओं को टायलेट ( पेशाब ) के लिए इधर उधर भटकना पड रहा है,,,, फूल नहीं चिंगारी है, हम भारत की नारी है, महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण के विपरित जाकर ग्राम पंचायत गुरलाँ की ये तस्वीर .... बयां कर रहीं
टॉयलेट के लिए निजी घरों में शरण लेती राहगीर महिला
गुरलाँ ग्राम पंचायत की अनदेखी का खामयाज राहगीर ( यात्री ) महिलाओं को परेशानी होती है जिससे हाईवे पर स्थित निजी घरों में टॉयलेट (पेशाब घर) के लिए शरण मागती नजर आतीं है