श्री श्याम धाम में विराजमान हुए लख दातार, गरुड़ देव और हनुमान जी की हुई प्राण प्रतिष्ठा

रामगढ़ (अलवर /राधेश्याम गेरा)पूर्ण आहुति के साथ "जय श्री श्याम" के जयकारों से गूंज उठा रामगढ कस्बा रामगढ़ कस्बे के श्याम भक्तों का वर्षों पुराना सपना हुआ साकार। कस्बे के बहादुरपुर रोड पर स्थित नवनिर्मित भगवान श्री श्याम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पश्चात भगवान श्याम के विराज मान होने से सपना साकार हो गया। भक्तों की वर्षों की मेहनत अब जाकर रंग लाई है ।
मंदिर में पांच दिवसीय मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के उपलक्ष में चौथे दिन गुरुवार को प्राण प्रतिष्ठा- मूर्ति स्थापना कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें विद्वान पंडितों द्वारा हवन यज्ञ के पश्चात मंत्रोच्चारण से प्रभु श्री श्याम की विधि विधान से प्राण-प्रतिष्ठा की गई।इसके बाद हारे के सहारे भगवान श्री श्याम के शीश को मंदिर के गर्भ ग्रह में विराजमान किया गया। इस अवसर पर चिरंजीव पवन पुत्र हनुमान और गरुड़ देव की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। अध्यक्ष जवाहरलाल तनेजा ने बताया कि श्री श्याम सखा मंडल एवं श्री श्याम जन कल्याण सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित महोत्सव में बाबा दीप दास महाराज अस्थल मंदिर कमेटी सहित अन्य धार्मिक व सामाजिक संथाओं का भरपूर सहयोग मिल रहा है। अनेकों भामाशाह और समाजसेवी ठंडे जल की प्याऊ,तोरण द्वार, खाद्य सामग्री वितरण कर रहे हैं।
सर्व समाज के हर वर्ग में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। गुरुवार को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर प्रात 7 बजे मुख्य आचार्य जगदीश शरण शास्त्री द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ कुंडली यज्ञ का शुभारंभ किया। जिसमें मुख्य यजमान रेखा - दिनेश उर्फ बंटी शर्मा , लाजवंती - महेंद्र गोपालिया के साथ पिंकी - मनोज तायल , रेखा -अनिल सिंघल , पोसवाल - बन्नी सहित कुल 5 जोड़ों ने यज्ञ में भाग लिया। दोपहर 12 बजे पीठाधीश कृष्णा चैतन्य मोहन , ब्रह्ममुनि टोडली के साथ मंदिर परिसर में मौजूद सभी श्याम भक्तों ने पूर्ण आहुति में हिस्सा लिया, इसके बाद हिन्दू रीति रिवाज अनुसार पहरावनी आदि की रस्में पूरी हुई। मुहूर्त के समय सवा 12 बजे भगवान श्याम बाबा के शीश को गर्भ ग्रह में विराजित किया गया साथ ही पवन पुत्र हनुमान व गरुड़ देव की मूर्ति भी स्थापित हुई। इस अवसर पर हजारों की भारी संख्या में मौजूद महिला, पुरुष श्याम भक्तों ने तीन बाण धारी, की जय ,हारे का सहारे की जय, लख दायर की जय, नीले घोड़े के सवार की जय के साथ जय श्री श्याम का जय कारा जोरों से लगाते रहे।जिससे रामगढ कस्बा गूंज उठा। अध्यक्ष तनेजा ने बताया कि तिजारा पठाधीश्वर श्याम लीन ललित मोहन ओझा के सनिध्य में मंदिर की नींव रख निर्माण कार्य शुरू हुआ था। गुरु जी की प्रेरणा से ही श्याम भक्त एकजुट होकर मंदिर निर्माण में हिस्सा लेते रहे।
गर्भ ग्रह में विराजित होने के बाद मंदिर की पहली आरती में श्याम भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु
गुरुवार को मूर्ति स्थापना प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में पूर्णहोने पर गर्भ ग्रह में विराजमान श्री श्याम प्रभु का भव्य फूलों से हुआ श्रंगार मनमोहक व आकर्षण का केंद्र रहा । वर्षों से आस लिए श्रद्धालु समय के इंतजार के बाद प्रभु के मंदिर में विराजमान होने पर भाव विभोर होते दिखे। गुरुवार को श्याम बाबा के साथ हनुमान और गरुड़ देव की मूर्ति स्थापना के पश्चात सवा 2 बजे प्रभु की पहली आरती हुई। जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया आरती के समय मंदिर परिषद महिला पुरुष श्रद्धालुओं से झमाझम भारत नजर आया।
यह बोले श्याम भक्त :- श्याम मंदिर निर्माण का सपना भक्तों ने कई सालों पूर्व देखा था जो बाबा के गर्भ ग्रह में विराजमान होने के साथ पूरा हुआ । मंदिर निर्माण में सैकड़ो श्याम भक्त भामाशाह के रूप में सामने आए और हिस्सा लिया। मंदिर निर्माण के सफर में कई चुनौतियां भी आई परंतु बाबा की कृपा और श्याम लीन गुरु ललित मोहन ओझा के सानिध्य से हर चुनौती का समाधान कर प्रयास सफल हुआ इसमें कस्बे सहित आसपास के युवाओं का भरपूर सहयोग मिला।






