पुष्करणा ब्राह्मण समाज में गणगौर पर्व का है विशेष महत्व:हर साल एक घर में होता है गणगौर - ईशर का विवाह समारोह
खैरथल (हीरालाल भूरानी)
शहर की पुरानी आबादी स्थित खैरथल गांव में गणगौर का हर वर्ष विवाह व उससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें पूरा समाज एकत्रित होकर विधि विधान पूर्वक कार्यक्रम को सम्पन्न करते हैं। होली के अगले दिन से आरंभ होने वाले गणगौर पर्व का इस समाज में विशेष उत्साह व योगदान रहता है। लगभग 100 घरों की बस्ती में प्रत्येक वर्ष अलग-अलग घरों में गणगौर का विवाह सम्पन्न कराया जाता है। गणगौर की मूर्तियां बनाने में होलिका दहन की राख में मिट्टी मिलाकर बनाई जाती है।जिसकी दोनों समय पूजा आरती की जाती है।
पुष्करणा ब्राह्मण समाज की महिलाओं द्वारा चौथ, अष्टमी, दशमी व गणगौर वाले दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है।इन दिनों समाज की महिलाएं एकत्रित होकर भजन कीर्तन का आयोजन करती है। गणगौर वाले दिन गणगौर स्वरूप मिट्टी की बनी मूर्ति को नगर भ्रमण कराया जाता है। वधू पक्ष के घर से शोभायात्रा निकालकर पूरे खैरथल गांव में होते हुए अंबेडकर सर्किल, सिनेमा रोड, पुरानी अनाज मंडी,मेन मार्केट, रेलवे फाटक, आनन्द नगर कालोनी से होती हुई वापस अपने घर पहुंचती है।पूरे रास्ते में विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा पुष्प वर्षा व ठंडा पेय पिला कर स्वागत किया जाता है। आकर्षक पोशाक में सजी प्रतिमा किसी जीवंत दुल्हन के समान लगती है । इस वर्ष समाज के कैलाश ज्योति वासु के यहां गणगौर माता की स्थापना की गई है। यहां गणगौर का विवाह सम्पन्न होगा। गणगौर वाले दिन विधिवत रूप से फेरों का कार्य सम्पन्न होगा। जिसमें पूरे समाज के लोग एकत्रित होकर सामूहिक भोज का आनन्द भी लेंगे।
11 अप्रैल को गणगौर पर्व है। इस दिन को रात्रि को फेरे होंगे। उसके अगले दिन 12 अप्रैल को हरसोली रोड स्थित स्वामी ज्ञानानंद जी के आश्रम या राधाकृष्ण मंदिर में पीपल के पेड़ पर मूर्तियों को पधरा दिया जाएगा। इस कार्यक्रम को भव्य बनाने में ज्योति वासु,मधु लोढ़ा,नीलम मांधु, पूनम वासु, मोनिका वासु, दीपिका लोढ़ा, काजल लोढ़ा,हंस हेड़ाऊ, जयश्री आचार्य, पूजा जोशी, प्रिया वासु पूरे तन मन से जुटी हुई है।