मेहंदीपुर बालाजी में कवि कुमार विश्वास ने दूसरे दिन भी की राम कथा
महुवा, दौसा(अवधेश अवस्थी)
महुवा मेहंदीपुर बालाजी में दो दिवसीय हनुमान जन्मोत्सव केउपलक्ष्य में आयोजित राम कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने अपना ओजस्वी प्रवचन दिया. इस दौरान उन्होंने देश में व्याप्त जातिप्रथा और धार्मिक कट्टरता पर तंज कसा. पहले आम आदमी पार्टी का हिस्सा रहे कवि कुमार विश्वास ने बिना नाम लिए अपनी पूर्व पार्टी और उसके कर्ताधर्ताओं पर भी कटाक्ष किया और कहा कि मैं भी ऐसे राक्षसों में रहकर निकला हूं, मेरे अंदर राम का नाम था, इसलिए बच गया. वहीं, पद्म पुरस्कारों को लेकर उन्होंने कहा कि लोग इन पुरस्कारों के लिए नेताओं के चक्कर लगाते हैं, लेकिन जनता का प्यार ही सबसे बड़ा पुरस्कार है. दरअसल, जिले के मेहंदीपुर बालाजी में आयोजित संगीतमय कथा 'अपने-अपने राम' का समापन मंगलवार देर शाम को हो गया. इस मौके पर पंडाल में बालाजी मंदिर ट्रस्ट महंत डॉ. नरेशपुरी और विभिन्न धर्मगुरुओं सहित कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के नेता मौजूद रहे.
जिज्ञासाओं से बना है सनातन धर्म : राम कथा के दौरान कवि कुमार विश्वास ने कहा कि सनातन धर्म जिज्ञासाओं से बना धर्म है। मैं यहां किसी धर्म के प्रति अनादर नहीं कर रहा. यहां मंच पर कांग्रेस नेता ममता भूपेश और भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी सहित कई विद्वान लोग मौजूद है, लेकिन देश में दो तरह की वैचारिकी है, जिसमें एक वैचारिकी ये है कि हम जो कह रहे है और जो इस पुस्तक पर जो लिखा हुआ है, वहीं फाइनल है. इसके खिलाफ कुछ बोला तो 'सर तन से जुदा'. इस बात को राजने बेहतर कोन समझता होगा? यहां लोगों ने इसे होते हुए देखा है. दूसरी वैचारिकी जिज्ञासा पर आधाररित धर्म की है.कुमार विश्वास ने कहा कि इस समय चुनाव चल रहे हैं. यहां राजनीति के लोग भी राम कथा सुनने के लिए बैठे है. ऐसे में ये बड़ा प्रसंग है कि देश में अगड़ों और पिछड़ों के वोट कितने हैं. इसका गणित चल रहा है, लेकिन अगर कोई पूछे कि भारत में जातीय व्यवस्था थी क्या? उसका जवाब है, 'भारत में सिर्फ एक व्यवस्था थी, और वह है वर्ण व्यवस्था. उन्होंने वर्ण व्यवस्था की व्याख्या करते हुए कहा कि यह व्यवस्था किसी जाति पर आधारित नहीं थी, बल्कि सिर्फ गुण और कर्मों पर आधारित थी. पहले जाति नहीं थी, लेकिन आज जाति बताने वाले लोग हमारे बीच में आ गए है. भारत का निर्माण भगवान राम ने अपनी भीलनी मां शबरी के साथ मिलकर किया है. इस देश को बनाने में अगड़ों का योगदान नहीं है. इसे बनाने में वन बंधुओं और दलितों का अहम योगदान है. हिंदुओं के दो प्रमुख ग्रंथ भी दलित समाज से निकले है. इन्हीं ग्रंथों से आजतक ब्राह्मणों की परंपरा जीवित है.पद्मश्री अवार्ड के लिए लोग नेताओं के चक्कर लगाते हैं:
कुमार विश्वास ने कहा कि मैंने बड़े-बड़े कलाकार, कवि- साहित्यकार देखें है, जो पद्मश्री अवार्ड पाने के लिए नेताओं की चौखट पर चक्कर लगाते रहते हैं. वह क्या करेगा उस पद्मश्री अवार्ड को लेकर? यह एक कागज का टुकड़ा है, एक दिन की खबर है, लेकिन यदि तुझे देखकर लोग रोने लगे, हाथ जोड़ें और कलेजे से लगा लें, और कहे कि बेटा तुझे सुनकर बड़ा आनंद प्राप्त होता है. ऐसे में ये प्यार सारे पद्म पुरस्कारों और सारे भारत रत्नों से उपर है.
ऑनर नहीं कस्टोडियन बनना सिखाता है राजपूतानाः कुमार विश्वास ने राम कथा के दौरान कहा- लोगों को ताकत मिलती ही आदमी पागल हो जाता है। उधर हाथों में पत्थर बदलते रहते है, इधर भी अहले जुनू सिर बदलते रहते हैं. आदमी को एक किरायेदारी (पद) मिलते ही उसके अंदर ऑनरशिप आने लगती है, जबकि ऑनर नहीं कस्टोडियन बनना राजपूताना सिखाता है. आज भी भगवान राम का वंश राजपूतों में सुरक्षित है.आप पार्टी पर बिना नाम लिए साधा निशानाः कुमार विश्वास ने आम आदमी पार्टी पर बिना किसी का नाम लिए निशाना साधा और कहा कि मैं भी ऐसे राक्षसों में रहकर निकला हूं, मेरे अंदर राम का नाम था, इसलिए बच गया. पूरी लंका सोई हुई है, लेकिन लंका में सिर्फ एक व्यक्ति विभीषण जागा हुआ है, क्योंकि उसके हृदय में राम का नाम है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेरी बातों का राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. चुनाव आयोग भी मेरी बातों को नहीं पकड़ नहीं पाएगा.
इस देश के विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री, विदेश सचिव को हनुमान जी की भाषा अपनानी चाहिए. राम कथा के प्रारंभ और समापन के बाद इंडिया गॉट टैलेंट के कलाकारों ने प्रस्तुति दी. क्रेजी हूपर्स टीम ने गणेश वंदना और हनुमान चालीसा वंदना की प्रस्तुति दी. वहीं आर्ट क्रू टीम ने कई तरह की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी. इसके साथ ही दो दिवसीय हनुमान जन्मोत्सव का समापन हो गया.