भीलवाड़ा महोत्सव में 'लेखक संवाद' कार्यक्रम आयोजित, साहित्यिक विमर्श में गूँजी राष्ट्रीय चेतना की आवाज

भीलवाड़ा (राजकुमार गोयल) भीलवाड़ा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित पुस्तक मेले में साहित्य प्रेमियों के लिए विशेष 'लेखक संवाद' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने साहित्यिक दृष्टिकोण साझा करते हुए समाज और राष्ट्र के प्रति साहित्य की भूमिका पर विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के पहले सत्र में दिल्ली के चर्चित लेखक ऋषि राज से संवाद किया गया। सत्र का संचालन डॉ. अनंत दाधीच, डॉ. मनीष रंजन और चन्द्रेश टेलर ने किया। ऋषि राज ने कहा कि पुस्तकों के माध्यम से बच्चों और युवाओं में देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना विकसित की जा सकती है। उन्होंने भारतीय सेना और कारगिल युद्ध से जुड़ी अपनी लेखनी के अनुभव साझा किए, जिसे श्रोताओं ने बड़े ध्यान से सुना। दूसरे सत्र में भीलवाड़ा के वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोपाल लाल दाधीच और युवा साहित्यकार डॉ. सुरेंद्र लोढ़ा के साथ डॉ. अवधेश जौहरी, सतीश कुमार व्यास 'आस' और डॉ. योगेश दाधीच ने पैनल चर्चा में भाग लिया।
इस दौरान श्री गोपाल लाल दाधीच की चर्चित कृति "कब छटेगा यह कोहरा" पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, जातिवाद, क्षेत्रवाद और नकारात्मकता का कोहरा केवल सक्षम राष्ट्रीय नेतृत्व से ही हटाया जा सकता है। उन्होंने अपनी प्रेरणादायक कविता "मां भारती" का पाठ भी किया, जिसे श्रोताओं ने भावविभोर होकर सुना।
युवा साहित्यकार डॉ. सुरेंद्र लोढ़ा ने अपनी पुस्तक "बचपन अनलॉक्ड" के बारे में बताया, जिसमें गाँव की संस्कृति और ग्रामीण जीवन का सुंदर चित्रण किया गया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बचपन की स्मृतियों को सहेजने का अवसर मिला, जिसे उन्होंने इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है।
सम्मान और समापन - कार्यक्रम के अंत में अतिरिक्त जिला कलेक्टर(शहर) प्रतिभा देवटिया, पुस्तक मेला प्रभारी डॉ. टीना रोलानिया और सह-प्रभारी नगेन्द्र तोलम्बिया ने सभी साहित्यकारों को मोमेंटो और आभार पत्र देकर सम्मानित किया। यह आयोजन भीलवाड़ा के साहित्यिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ, जिसने युवा और वरिष्ठ साहित्यकारों को एक साझा मंच प्रदान किया।






