बाल विवाह नहीं रुके तो पंच-सरपंच होंगे जिम्मेदार: हाई कोर्ट ने सरकार को भेजा आदेश
राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को दिशा निर्देश जारी करते हुए बाल विवाह को पूरी तरह से रोकने के लिए कहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में पंच-सरपंच की जवाबदेही तय करने के लिए कहा है।
राजस्थान में बाल विवाह निषेध कानून और सरकार की ओर से उठाए गए तमाम प्रयासों के बावजूद बाल विवाह नहीं रुक पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर अबूझ सावे अक्षय तृतीया पीपल पूर्णिमा सावो पर बाल विवाह होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। यही वजह है कि अब राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार को बाल विवाह नहीं होने देने के लिए जरूरी और गंभीर कदम उठाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
पंच-सरपंच की तय होगी जवाबदेही
हाईकोर्ट जस्टिस शुभा मेहता ने कहा है कि प्रदेश में कहीं भी किसी भी सूरत में बाल विवाह नहीं होना चाहिए। इसके लिए पंच-सरपंच को जागरूक किया जाए। अगर जिम्मेदारी का निर्वाहन करने में जनप्रतिनिधि विफल है, तो उनकी भी जवाबदेही तय की जाएगी। पंचायती राज नियम के तहत बाल विवाह रोकना पंच-सरपंच की ड्यूटी है। बचपन बचाओ आंदोलन पर जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश दिए हैं। आदेश की कॉपी सीएस सहित सभी जिला मजिस्ट्रेट को भेजी गई है।
लकड़ियों की शादी 18 साल से पहले ही हो जाती है। राजस्थान के शहरी क्षेत्र में ये प्रतिशत 15.1 है, जबकि ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 28. 3 हो जाता है।
राज्य सरकार ने कोर्ट में क्या कहा? राज्य सरकार की ओर से दिए गए जवाब में एएजी बीएस छाबा ने कहा कि सरकार बाल विवाह रोकने के लिए प्रयास कर रही है। 1098 नंबर पर बाल शोषण और बाल विवाह की शिकायत की जा सकती है।
- कमलेश जैन