अतिराम सागर का सीईओ ने किया निरीक्षण ,सागर जीणोद्धार का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश
- पानी निकासी एवं गन्दगी पानी पर रोक लगाने के निर्देश
- सागर में कचरा डाला तो वसूली जाएगा जुर्माना
वैर भरतपुर....जिला परिषद भरतपुर के सीईओ वीरेन्द्र सिंह एवं एक्सईएन हरी शर्मा ने पंचायत समिति वैर क्षेत्र के ग्राम पंचायत हलैना,सरसैना आदि के जलस्त्रोतों का निरीक्षण किया,हलैना के अतिराम सागर की हालत देख कर दोनों अधिकारी खफा हो गए और सागर में भरे बदबूयुक्त पानी व कचरा निकासी,आबादी क्षेत्र के गन्दा पानी पर रोक लगाने एवं सागर का जीर्णोद्वार का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही पंचायत समिति के विकास अधिकारी,एईएन,ग्राम विकास अधिकारी को सागर में कचरा व शौचालय का गन्दा पानी डालने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस व विभागीय करर्यवाही कर ऐसे लोगों से जुर्माना वसूली के निर्देश दिए। सीईओ वीरेन्द्र सिंह ने ग्राम पंचायत हलैना के अतिराम सागर से पहले ग्राम पंचायत सरसैना,हाथौडी,पाली के अधीनस्थ आने वाले प्राचीन जलस्त्रोत,वावडी,सागर,पोखर आदि का निरीक्षण किया। विकास अधिकारी गिर्राजप्रसाद बुनकर ने बताया कि 8 अप्रेल को जिला परिषद के सीईओं वीरेन्द्र सिंह एवं अधिशाषी अभियन्ता हरी शर्मा ने पंचायत समिति वैर क्षेत्र की ग्राम पंचायत हलैना,सरसैना,पाली,हाथौडी आदि के जलस्त्रोतों का निरीक्षण किया,जिन्होने कस्वा हलैना के अतिराम सागर,सरसैना,बेबर,पाली की पोखर,गांव हाथौडी के प्राचीन वाबडी आदि के जीर्णोद्वार के प्रस्ताव जल्द तैयार करने के निर्देश दिए है। साथ ही कस्वा हलैना के अतिराम सागर से बदबूयुक्त गन्दा पानी व कचरा निकासी सहित आबादी क्षेत्र का गन्दा पानी व शौचालय की गन्दगी एवं दुकानदारों के द्वारा डाला जा रहे कचरा पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए है। जिसके लिए ग्राम पंचायत हलैना के ग्राम विकास अधिकारी श्यामलाल जाटव को कार्यवाही करने एवं गन्दगी फैलाने वाले लोगों की सूची तैयार कर विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए है और पाबन्द भी किया गया है। निरीक्षण के समय विकास अधिकारी गिर्राजप्रसाद बुनकर,सहायक अभियन्ता गोविन्द गर्ग,जेटीओं बृजेश कुमार,सरपचं दीपेश कुमार जाटव,ग्राम विकास अधिकारी श्यामलाल जाटव आदि उपस्थित थे।
- अतिराम सागर के जीर्णोद्वार की जागी उम्मीदे
भरतपुर रियासत के संस्थापक महाराजा सूरजमल के चचेरे भाई ठाकुर अतिराम सिंह ने साल 1702 में सागर का काले पत्थरों से निर्माण कराया,सागर में चार बडी व आठ छोटी छत्तरी,दो मंजिला जल महल तथा महल से सागर तक भूमिगत सुरंग,जल भराव को नाला आदि का निर्माण कराया। सागर किनारे चार कुएं, पांच मन्दिर व एक मस्जिद और छाया व फूलदार पेड लगवाए। जो अब गायब है और केवल नामोनिशान बचे है। 1702 से 1995 तक सागर में बाणगंगा नदी से जल भराव हुआ, 1996 के बाद नदी में पानी की आवक नही हुई और सागर जल से नही भरा गया। जिसके बाद ये सागर नरक कुण्ड बन गया। कस्वा के लोगों को अब सागर की हालत में सुधार आने की उम्मीदे जागी है,लोगों को विश्वास है कि गृह जिले एवं पडौसी गांव अटारी के मुख्यमंत्री है,शायद अब सागर का जीर्णोद्वार हो जाए।
- क्या कहते है कस्वा के लोग
कस्वा निवासी बाबूलाल ने बताया कि आवादी क्षेत्र के मध्य सागर बना हुआ है,जिस सागर की हालत दयनीय है,गन्दे व बदबूयुक्त जलभराव से लोग परेशान है। साल 1996 से आज तक अनेक जनप्रतिनिधी व प्रशासन के आलाधिकारी सागर का निरीक्षण कर चुके है,लेकिन सागर की हालत में सुधार नही आया। रामकिशन ने बताया कि सागर के जीर्णोद्वार व खुदाई के लिए साल 1972 से आज तक अनेक योजनाओं से पैसा आया,लेकिन ये विकास कार्य सरकारी कागजात में सिमट कर रह गया। सुरेश कुमार ने बताया कि सागर में दंबग लोग प्रतिदिन कचरा डाल रहे है और शौचालय व घरों का गन्दा पानी,इस पर रोक लगे,तभी मानव जीवन सुरक्षित रहेगा। राधा व कृष्णा ने बताया कि सागर किनारे धार्मिक स्थल, ग्रामीण हाट बाजार एवं सरकारी कार्यालय स्थापित है और सागर किनारे चारों ओर आमरास्ता हे। जहां से लोग आत-जाते है और धार्मिक स्थल पर पूजापाठ,नमाज अदा करने आते है। वे सब सागर की बदबू से परेशान है,नाक-मुख पर कपडा रखना पडता है। रामजीलाल ने बताया कि 1971 से आज तक सागर दो दर्जन से अधिक लोगों की भेंट ले चुका है,सागर की चारदीवारी टुटी पडी है और दंबग दुकानदार सागर में कचरा डालने से नही रूक रहे।