आदिवासी युगपुरूष कप्तान छुट्टन लाल मीना की मनायी गई 102वीं जयंती

राजस्थान के अलवर जिले मे जन्मे महापुरुष (आदर्श) कप्तान साहब छुट्टन लाल मीना का 102 वा जन्म दिवस समूचे राजस्थान मे मनाया

Sep 4, 2021 - 20:04
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आदिवासी युगपुरूष कप्तान छुट्टन लाल मीना की मनायी गई 102वीं जयंती

अलवर सहित पूरे राजस्थान मे मनाया गया हर्षोल्लास के साथ कप्तान मीना का जन्मदिन,    समुदाय को आरक्षण दिलाने मे रही है अहम भुमिका

भीलवाड़ा (राजस्थान) मे भी गपुरुष कप्तान छुट्टन लाल मीना की 102वीं जयंती प्रदेश भर में धूमधाम से मनायी गई।  आदिवासी समाज द्वारा राजस्थान के प्रत्येक जिले मुख्यालय ब्लॉक स्तर पर पुष्पांजलि अर्पित कर जयंती मनाई गई
कप्तान छुट्टनलाल मीना का जन्म 3 सितम्बर 1920 को डाबला, राजगढ़ तहसील अलवर में हुआ था। उनके पिता का नाम टुंडा राम मीना था वह सेना में तैनात थे। कप्तान साहब का विवाह धापा देवी (गांव -होदायली) से हुआ था, उनके पांच पुत्र एवं तीन पुत्रियाँ है। कप्तान साहब की शिक्षा राजऋषि कॉलेज से हुई थी, उन्हें हॉकी खेलने में रुचि थी 18 वर्ष की आयु में वह सेना में भर्ती हो गए थे वह सेना में कमिश्नर ऑफिसर थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी सेना में नियुक्त थे। उन्होंने सेना में भर्ती 1 मार्च 1938 में ली थी और 13 साल 1 माह 13 दिन सेना में सेवा देने के बाद 13 सितम्बर 1951 में सेवा निवृत्ति ले ली। 1971-77 तक सवाई ,माधोपुर से लोकसभा सदस्य रहें। उनके द्वारा सवाई माधोपुर एवं गंगापुर में विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया। उन्होंने देखा की उनके क्षेत्र में दूर-दूर तक कोई कॉलेज नहीं हैं। यह समस्या देखने के बाद उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री जी इंदिरा गाँधी से गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर में कॉलेज की माँग की। कप्तान साहब का जीतना महत्वपूर्ण योगदान शिक्षा के क्षेत्र में था उतना ही कृषि में था। किसानों के हित में था। उन्होंने सवाई माधोपुर के माधोपुर और खंडार तहसील में जल के स्तर कम होने के कारण सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए लिफ्ट सिंचाई योजना के लिए फण्ड की माँग की। सरकार के द्वारा गंभीर नदी के पानी को सिंचाई के लिए उपयोग लिया जाए. इसलिए काफी वार योजना बनाई परंतू राजनैतिक मतभेदों के कारण वह आयोग नहीं हो रही थी। कप्तान साहब द्वारा उस योजना की माँग की। कप्तान साहब हमेशा से ही समाज के कल्याण के बारे में सोचते रहे. सेना काम करने के साथ-साथ जब भी वह घर आते तो हमेशा गाँव-गाँव, ढाणी-ढाणी जाते और सभी की समस्याओ को जानते और उस के समाधान का सोचते। रिटायर होने के तुरंत बाद 1953में भारतीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। वह हमेशा समाज के हित में सोचा करते थे। वह हमेशा बालिका शिक्षा और महिलाओं के सम्मान पर जोर देते थे और मृत्यु भोज का विरोध करते रहे। उन्होंने अंधविश्वासों और पाखंडो से समाज को मुक्ति दिलाई थी। वह 1957-62 तक महुआ, 1962-67 तक नादोती, 1967-71 तक टोडाभीम से विधानसभा सदस्य रहें। कप्तान साहब 1955-89 तक पी.सी.सी. चुनाव समिति के सदस्य रहें। 1960-89 मार्च तक ए.आई.सी.सी. के सदस्य रहें। 1977-89 तक यानी जीवन के अंतिम समय-समय पर लोकसभा व विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस का प्रचार करते रहें। 8 मार्च 1989 को दिल का दौरा पड़ने के कारण कप्तान साहब की मृत्यु हो गई। 
वह मीणा समाज के एक महापुरुष थे। समाज के विकास एवं उत्थान में उनका अतुलनीय और बहुत बड़ा योगदान रहा है। वह मीना समाज के विकास पर और एकता पर हमेशा  जोर देते रहे। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के भले के लिए लगा दिया था समाज  के अनमोल रत्न कप्तान साहब की जयन्ती पर शत् शत् नमन करते है।

 

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