जैन मंदिर में आत्मा की शुद्धि का पर्व क्षमा वाणी मनाया
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कस्बे स्थित जैन मंदिर में क्षमा वाणी पर्व बुधवार को विधि विधान से मनाया गया। इस मौके पर अनुयाइयों ने विशेष पूजन, अनुष्ठान, शांति धारा अनुष्ठान आदि का आयोजन किया। सबसे पहले भगवान महावीर का पूजन अभिषेक और आरती की गई। उसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने एक दूसरे से क्षमा याचना कर अपने द्वारा की गईं गलतियों के लिए क्षमा मांगी।
कहा गया कि क्षमा धर्म विश्व शांति का प्रबल मंत्र है। क्रोध न करना ही क्षमा का दूसरा नाम है। क्षमा मांगने की नहीं स्वयं के अंदर उतारने की आवश्यकता है। जैसे रूप का आभूषण गुण है और गुण का आभूषण ज्ञान है। उसी तरह ज्ञान का आभूषण क्षमा है। क्षमा से विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान हो सकता है। जैन धर्मावलंबियों ने सालभर में जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा याचना की। जैन मुनियों का कहना है कि क्षमा शब्द मानवीय जीवन की आधारशिला है। जिसके जीवन में क्षमा है, वही महानता को प्राप्त कर सकता है। क्षमावाणी हमें झुकने की प्रेरणा देती है। दशलक्षण पर्व हमें यही सिख देता है कि क्षमावाणी के दिन हमें अपने जीवन से सभी तरह के बैर को मिटाकर प्रत्येक व्यक्ति से क्षमा मांगनी चाहिए। दूसरों को भी क्षमा करने का भाव ही क्षमावाणी है।
- कमलेश जैन