शीत लहर के प्रभाव से बचने के लिए बरते सावधानियां

लक्ष्मणगढ़ (अलवर/ कमलेश जैन) शीत लहर का प्रभाव प्रत्येक वर्ष दिसंबर-जनवरी के महीनों में होता है। और कभी-कभी विस्तारित शीत लहर की घटनाएं नवंबर से फरवरी तक होती है। जिसके चलते सर्द हवाओं के कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ने के साथ-साथ यदाकदा मृत्यु होना भी संभावित है। शीतलहर का नकारात्मक प्रभाव वृद्धजनों एवं 5 वर्ष के छोटे बच्चों पर अधिक होता है। इसके अतिरिक्त दिव्यांगजनों, बेघर व्यक्तियों, दीर्धकालिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीतलहर के दौरान विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है। शीत लहर बारिश कोहरे आदि स्वास्थ्य पर प्रभावित करने वाले प्रमुख मौसम संबंधी खतरों के रूप में उभरे हैं।
खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रूपेंद्र शर्मा द्वारा दी जा रही जानकारी का अनुसरण करें....
पर्याप्त मात्रा मेें गर्म कपड़े पहनें। नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहें। शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें। अल्प ताप अवस्था के लक्षण जैसे- सामान्य से कम शरीर का तापमान, न रूकने वाली कंपकपी, याददाश्त चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था का होना, जबान का लड़खडाना आदि प्रकट होने पर पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे- दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जूते आदि पहने। शीतलहर के समय चुस्त कपड़े ना पहनें यह रक्त संचार को कम करता है, इसलिये हल्के ढीले-ढाले एवं सूती कपड़े बाहर की तरफ एवं ऊनी कपड़े अंदर की तरफ पहने। शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो ही बाहर यात्रा करें। पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें। बुजुर्ग, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का यथा संभव अधिक ध्यान रखें क्योंकि उन्हें शीत ऋतु का प्रभाव होने की आशंका अधिक रहती है।






