गरीब नेत्रहीन प्रेमचंद हरिजन को पक्का मकान बनाने की जिम्मेदारी ली पूर्व प्रधान राजेंद्र मीणा ने

भाग्य की दिग्दर्शक कही जाने हाथ की रेखाएं कब मिटीं, खुद प्रेमचंद को पता नहीं। अब तो उसके हाथ की अंगुलियों और अंगूठे की लकीरें भी भाग्य की तरह उसके हाथ से गायब हो चुकी हैं। आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि गांव वालों की दया से ही पेट में जलने वाली भूख की आग शांत हो पाती है। किसी दिन दयालु लोगों की स्मृति से प्रेम का चेहरा ओझल हो जाता है तो वह अपनी खटिया के सिरहाने रखी मटकी से जल पीकर भूख की आग को बुझा कर जी लेता है। पहले घर के बगल में हैण्डपम्प था। उसी से नहाने-धोने और पीने के पानी का जुगाड़ हो जाता था लेकिन हेटी किस्मत के धनी प्रेमचंद के जीवन में मंडराते दुर्भाग्य ने उसे भी नाकारा बना दिया

Jun 4, 2020 - 01:58
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गरीब नेत्रहीन प्रेमचंद हरिजन को पक्का मकान बनाने की जिम्मेदारी ली पूर्व प्रधान राजेंद्र मीणा ने

महुआ दौसा

महुआ 3 मई किस्मत कभी-कभी इंसान के साथ क्रूर मजाक भी करता है किसका उदाहरण है महुआ उपखंड क्षेत्र के पालोदा गांव स्थित प्रेमचंद हरिजन की दुर्भाग्य यह कि प्रेमचंद जन्म से अंधा है। भाग्य की दिग्दर्शक कही जाने हाथ की रेखाएं कब मिटीं, खुद प्रेमचंद को पता नहीं। अब तो उसके हाथ की अंगुलियों और अंगूठे की लकीरें भी भाग्य की तरह उसके हाथ से गायब हो चुकी हैं। आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि गांव वालों की दया से ही पेट में जलने वाली भूख की आग शांत हो पाती है। किसी दिन दयालु लोगों की स्मृति से प्रेम का चेहरा ओझल हो जाता है तो वह अपनी खटिया के सिरहाने रखी मटकी से जल पीकर भूख की आग को बुझा कर जी  लेता है। पहले घर के बगल में हैण्डपम्प था। उसी से नहाने-धोने और पीने के पानी का जुगाड़ हो जाता था लेकिन हेटी किस्मत के धनी प्रेमचंद के जीवन में मंडराते दुर्भाग्य ने उसे भी नाकारा बना दिया। अब सूखे कण्ठ की प्यास भी लोगों की दया पर निर्भर है। भाजपा से महुआ विधानसभा से उम्मीदवार रहे पूर्व प्रधान राजेंद्र मीणा ने बताया कि

 25 मई को पालोदा गांव में अग्नि पीड़ित परिवार के दुःख में शामिल होने गए थे तो ग्रामवासियों ने सलाह दी थी मुझे गांव में उस हरिजन भाई के घर भी जाना चाहिए। मैं वहां पहुंचा तो देखा कि उसके परिवार की हालत अत्यंत दयनीय है। उसे न तो नेत्रहीनता की और न ही वृद्धावस्था की पेंशन मिल रही है। उस रोज मैं वादा करके आया था कि कल सम्बंधित कर्मचारियों को लाकर आपके लिए सहायता के सारे दरवाजे खोल दूंगा।लेकिन प्रेमचंद का दुर्भाग्य कह लें या मेरा कि पवित्र उद्देश्य के लिए निकलने से पहले ही मेरी मां की तबियत अचानक सहुत ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें तत्काल जयपुर ले जाना पड़ा। मां की बीमारी से तनावग्रस्त होने के उपरांत भी मैं अपने कर्तव्य से तनिक भी विमुख नहीं हुआ। मैंने निर्धारित दिन और नियत समय पर मेरे निजी सहायक व कोर ग्रुप के सदस्यों को गांव पालोदा भेजा। वे लोग भाई प्रेम को लेकर ग्राम पंचायत मण्डावर गए, जहां मैंने पूर्व में ही पंचायत के सचिव को पाबंद कर दिया था।

पेंशन एवं अन्य आर्थिक सहायता मुहैया कराने के लिए वर्तमान में आधार कॉर्ड होना अनिवार्य है। आधार के बिना जैसे सब कुछ निराधार है। यही हुआ भाई प्रेमचंद हरिजन के साथ। आधार बनवाने के या तो नेत्रों में रेटिना या फिर अंगुली व अंगूठे की रेखाएं होना आवश्यक है। किन्तु दुर्भाग्य के धनी प्रेमचंद हरिजन के नेत्रों को तो ईश्वर ने मां के गर्भ में ही छीन लिया था और भाग्य की रेखाओं की भांति अंगुली और अंगूठे की लकीरें भी उसका आजीवन साथ नहीं निभा पाईं। आधार कॉर्ड बनवाने के लिए कई बार अंगूठे व अंगुलियों को मशीन पर लगाया लेकिन लकीरें उभरी ही नहीं।

जब चिकित्सकों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने सलाह दी कि कुछ दिन प्रेमचंद के अंगूठे व अंगुलियों पर लगातार वैसलीन लगाई जाए तो लकीरें उभर सकती हैं।

अब प्रतीक्षा ही एकमात्र रास्ता है। एक सप्ताह बाद प्रेमचंद को लेकर पुनः ईमित्र केन्द्र पर जाऊंगा। यदि किस्मत ने उसका साथ दिया और लुप्त लकीरें उभर आईं तो पहले उसका आधार कॉर्ड बनवाऊंगा और बाद में उसके घर तक वे तमाम सुविधाएं खुद चलकर पहुंचेंगी, जिनका वह वास्तविक हकदार है। यदि यह प्रयास भी विफल हो गया तो मैं प्रण कर चुका हूं कि स्वयं आगे बढ़कर उसके परिवार की हर प्रकार से आर्थिक सहायता करुंगापूर्व प्रधान राजेन्द्र मीना ने आज विधि विधान से गाँव पालोदा जाकर हरिजन प्रेम चंद के हाथों से नये मकान की नीव रखी गयी।

इस मोके पर रामबाबू अग्रवाल महवा, राजेन्द्र गोयनका खेड़ला वाले, हेमेन्द्र तिवाड़ी, पार्षद ओमप्रकाश, सरपंच भोरी लाल बैरवा, सुरेश मीना विरासना, मंडल अध्यक्ष मण्डावर सोहन लाल सैनी, किंग कोंग, सतीश नवरंगपुरा, उदय भान जाटव, रमेश प्रजापत, भोलू हरिजन, राजू सामरिया साथ में गाँव पालोदा के सभी समाजो के पंच पटेल मौजूद रहे।

महुआ से अवधेश कुमार अवस्थी की रिपोर्ट

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