सरस्वती विद्या मंदिर रघुनन्दन वार्षिकोत्सव के साथ संस्कार और शिक्षा के अनुपम संगम का आयोजन

Mar 2, 2024 - 19:23
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सरस्वती विद्या मंदिर रघुनन्दन वार्षिकोत्सव के साथ संस्कार और शिक्षा के अनुपम संगम का आयोजन

पाली (बरकत खान)  संस्कार युक्त शिक्षा के लिए प्रसिद्ध विद्या भारती स्कूल के वार्षिकोत्सव का आयोजन इस वर्ष भी उत्साह और उमंग के साथ सादड़ी आजाद मैदान में शुक्रवार शाम को संपन्न हुआ। इस उत्सव में संस्कृति और शिक्षा के अनूठे संगम को दर्शाया गया. वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में अतिथियों ने शिक्षा के महत्व और संस्कार युक्त शिक्षा की राष्ट्रहित में उपयोगिता पर अपनी अपनी वार्ता रखी। वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" की शुरुआत अखिल भारतीय शारीरिक एवं संस्कृति बोध परियोजना संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  जोराराम कुमावत केबिऩेट मंत्री राजस्थान सरकार, अध्यक्ष स्थानीय विधायक पुष्पेन्द्र सिंह राणावत, नगरपालिका अध्यक्ष खुमी देवी बावरी, विशिष्ट अतिथि जीवन पुनमिया, विद्या भारती जिला सचिव सुरेश मालवीय, जिला समिति सदस्य दिनेश त्रिवेदी, उपाध्यक्ष जवाहर जैन, भाजपा जिला उपाध्यक्ष दिलीप सोनी, व्यवस्थापक नारायण लोहार, रूपाराम प्रजापत, संजय बोहरा, हरि सिंह राजपुरोहित और विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोहर लाल सोलंकी ने दीप प्रज्वलित कर की गई।

वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने अपने उद्बोधन में संस्कारयुक्त शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास में मदद करती है बल्कि समाज के निर्माण में भी योगदान देती है। उन्होंने विद्या भारती से प्रेरित सरस्वती विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय के वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में संस्कार युक्त शिक्षा की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि संस्कारों से परिपूर्ण शिक्षा ही हमारे राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है। यह शिक्षा प्रणाली न केवल ज्ञान का भंडार है बल्कि यह छात्रों में आत्म-विश्वास, नैतिक मूल्यों और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना को भी जगाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के समग्र विकास का भी एक अभिन्न अंग है। विद्या भारती स्कूल का यह प्रयास निश्चित रूप से उन युवा प्रतिभाओं को तैयार कर रहा है जो भविष्य में देश का नेतृत्व करेंगे और इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। कैबिनेट मंत्री कुमावत ने कहा कि विद्या भारती से प्रेरित स्कूल का उद्देश्य केवल अकादमिक उत्कृष्टता हासिल करना नहीं है बल्कि ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो समाज के प्रति सजग रहें और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।

स्थानीय विधायक पुष्पेन्द्र सिंह राणावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में छात्रों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति और विरासत की झलक साफ दिखाई दे रही है, वार्षिकोत्सव विद्यार्थियों को उनके जीवन में संस्कारों का महत्व समझने में मदद करेगा और उन्हें एक संस्कारित भविष्य की ओर ले जाएगा। विधायक ने कहा कि विद्या भारती संस्कार युक्त शिक्षा प्रदान करने में देश की अग्रणी संस्था है, उन्होंने ने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। इसमें व्यक्ति के चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों का विकास और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना का होना भी अत्यंत आवश्यक है। वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में मुख्य वक्ता दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने संस्कार युक्त शिक्षा पर अपना विस्तृत उद्बोधन दिया।इस दौरान अन्य सभी वक्ताओं ने मोटा तौर पर संस्कार युक्त शिक्षा को राष्ट्रहित में उपयुक्त बताते हुए कहा कि यही वह विद्यालय है जिससे देश का भविष्य आकार लेता है। अतिथियों ने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल ज्ञानार्जन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण भी है। विद्या भारती की इस शिक्षा प्रणाली से ही राष्ट को प्रथम दर्जा देने वाले सशक्त नेतृत्व प्राप्त होते रहेंगे।

सरस्वती विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय सादड़ी के प्रधानाचार्य मनोहरलाल सोलंकी ने लुणिया टाइम्स को बताया की वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में सरस्वती वन्दऩा, आधारभूत विषयों शारीरिक-घोष योगासन, संगीत योगचाप संस्कृत गीत डम्बल्स का भव्य प्रदर्शन कवि सम्मेलन भाषाशास्त्र सम्मान प्रतिभावान छात्रों को पुरस्कार प्रदान, नाट्य चन्द्रशेखर आजाद, केवट प्रसंग समरसता का संदेश देता शबरी के झुठे बेर खाते श्रीराम, लोकनृत्य घूमर- तेरह ताली, श्रीराम पर आधारित शिशु नृत्य ये चमक ये दमक, अंग्रेजी स्पोकन गीत नृत्य, संस्कृति नृत्य, नाटक, संगीत, और भाषण शामिल थे। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से, विद्यार्थियों ने वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में भारतीय संस्कृति और मूल्यों की गहराई को उजागर किया। वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में विशेष रूप से रामायण और महाभारत से प्रेरित नाटकों का मंचन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने अपनी अभिनय क्षमता का बेजोड़ प्रदर्शन किया। इन नाटकों के माध्यम से धर्म, कर्म, और नैतिक मूल्यों के महत्व को समझाया गया। इस तरह से वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति से ओत प्रोत विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसका उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।  प्रधानाचार्य सोलंकी ने कहा कि "हमारा उद्देश्य केवल विद्यार्थियों को अकादमिक रूप से सशक्त बनाना नहीं है, बल्कि उन्हें ऐसे संस्कार भी देना है जो उन्हें जीवन में सही दिशा दिखाएं। हम चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थी न केवल अच्छे पेशेवर बनें, बल्कि अच्छे इंसान भी बनें।" इस अवसर पर प्रधानाचार्य मनोहर लाल सोलंकी ने अतिथियो का स्वागत करवाने के बाद अतिथि परिचय कराया, व्यवस्थापक नारायण लाल मालवीय ने प्रतिवेदन व कोषाध्यक्ष देवाराम परमार ने आभार प्रकट किया। मंच संचालन बहिन लारा उपाध्याय,शिशु निकेतन प्रधानाचार्य मुकेश सवंशा ने किया।

वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" में मुख्य अतिथि जोराराम कुमावत केबिऩेट मंत्री राजस्थान सरकार, स्थानीय विधायक पुष्पेन्द्र सिंह राणावत, नगरपालिका अध्यक्ष खुमी देवी बावरी, विशिष्ट अतिथि जीवन पुनमिया, विद्या भारती जिला सचिव सुरेश मालवीय, जिला समिति सदस्य दिनेश त्रिवेदी, उपाध्यक्ष जवाहर जैन, भाजपा जिला उपाध्यक्ष दिलीप सोनी, व्यवस्थापक नारायण लोहार, रूपाराम प्रजापत, संजय बोहरा, हरि सिंह राजपुरोहित और विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोहर लाल सोलंकी, उपजिला प्रमुख जगदीश चौधरी, जिला प्रचारक नारायण लाल, जिला कार्यवाह मोहनलाल मेघवाल राजपुरा, समिति कार्यकर्ता ओमप्रकाश शर्मा, विद्या भारती समिति संरक्षक प्रभुदास बैरागी, प्रकाश मालवीय, कृष्ण सुवंशा, सन्तोष माली, भावना शर्मा, हीरसिंह राजपुरोहित, राजू जैऩ, नरेश सोनी व सुरेश पूरी गोस्वामी, धीरज राजपुरोहित, घीसू लाल, विद्यालय स्टाफ, अभिभावक सहित सैकड़ो नगर के गणमान्य नागरिक इस भव्य वार्षिकोत्सव "रघुनन्दन" के साक्षी बने. ज्ञातव्य रहे की विद्या भारती विद्यालय, जो कि अपनी संस्कार युक्त शिक्षा पद्धति के लिए जाना जाता है, ने इस वार्षिकोत्सव में यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें संस्कारों का भी समावेश होना चाहिए। इससे विद्यार्थियों में न केवल ज्ञान की वृद्धि होती है, बल्कि वे समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक भी बनते हैं।

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