खाध निगम ने गरीबों को खाने के लिए भेजा सड़ा हुआ गेंहू,डीलरों ने किया लेने से इंकार

वापस किया गेंहू से भरा ट्रक,,,,किया हंगामा,,,,,,गरीबों के साथ ये कैसा खिलवाड़,,,,

Jul 28, 2020 - 21:10
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खाध निगम ने गरीबों को खाने के लिए भेजा सड़ा हुआ गेंहू,डीलरों ने किया लेने से इंकार

बयाना भरतपुर

बयाना 28 जुलाई । कोरोना संक्रमण के चलते बेरोजगार हुए मजदूरों व गरीबों आदि को सरकार की योजना के तहत बांटने के लिए बयाना में भारतीय खाध निगम की ओर से सड़ा हुआ गेंहू भेज दिया गया।जिसे देख राशन डीलरो के भी तेवर चढ़ गए , उन्होंने इसका विरोध करते हुए हंगामा कर दिया व स्थानीय प्रशासन को सड़े हुए गेंहू की सूचना दी।सड़े हुए गेंहू से भरे ट्रक व उससे उड़ रही दुर्गंध को देखकर मोके पर अन्य लोग भी इकट्ठे हो गए।जिन्होंने खाध निगम पर गरीबों के जीवन से खिलवाड़ के भी आरोप लगाए ।सूचना पाकर मौके पर रसद अधिकारी व नायब तहसीलदार मानवेन्द्रसिंह जायसवाल भी पहुचे जो गरीबों को खाने के लिए भेजे गए सड़े हुए दुर्गंध युक्त गेंहू से भरे ट्रक को देख चौक गए।उन्होंने मोके से ही दूरभाष संपर्क कर संबंधित अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया और उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार सड़े हुए गेंहू से भरे ट्रक को  भारतीय खाध निगम भरतपुर के गोदाम वापस भेजा।आपको बता दें कि करीब 500 बोरों से भरा यह ट्रक केंद्र व राज्य सरकार की योजना के अनुसार राशन डीलरों के माध्यम से बेरोजगारी व गरीबी के शिकार हुए लोगों को वितरित करने के लिए केंद्र सरकार के भारतीय खाध निगम की ओर से बयाना के पांच वार्डो के राशन डीलरों को आपूर्ति करने को भेजा गया था।

यह गेंहू हरियाणा से मंगवाया गया बताया।जिसकी पूरी रैक की मालगाड़ी भरतपुर आई है जिसमें ऐसा ही सड़ा हुआ दुर्गन्धयुक्त गेंहू निकल रहा बताया है।राशन डीलरों का कहना है कि खाध निगम की ओर से पहले भी कई बार ऐसा ही सड़ा हुआ गेंहू भेजा गया है।यह गेंहू इस कदर सड़ा हुआ था और दुर्गंध आ रही थी कि उसे जानवर भी खाना तो दूर उसकी दुर्गंध से ही दूर भाग जाएंगे।बयाना में यह गेंहू बयाना क्रय विक्रय सहकारी समिति प्रा, लि, के माध्यम से राशन डीलरों को सप्लाई किया जाता है।जिसे राशन  डीलरों की ओर से बेरोजगार हुए मजदूरों, गरीबों व बी पी एल, खाध सुरक्षा, अंत्योदय, ए पी एल, आदि कार्ड धारियों को 5 किलो गेंहू मुफ्त व 5 किलो गेहूं 1 रुपये व 2 रूपए किलो प्रति यूनिट की दर से वितरित किया जाना था।

राजीव झालानी की रिपोर्ट

 

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