आंखों में आंसू, शीतलहर में कठोर तपस्या, कब तक होगी बेजुबान गौवंशो की अग्नि परीक्षा

चारे,पानी,आवास के लिए मोहताज हो रहे बेजुबान गाय, बछड़े व सांड

Jan 5, 2022 - 13:29
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आंखों में आंसू, शीतलहर में कठोर तपस्या, कब तक होगी बेजुबान गौवंशो की अग्नि परीक्षा

रैणी (अलवर, राजस्थान/ महेश चन्द मीना) अलवर के नारायणपुर क्षेत्र में इस समय गौवंश के हालात इस कदर बिगड़ रहे हैं कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। एक और गौ-माताओं को प्राचीन समय में देवी देवताओं के समान मानकर पूजा अर्चना की जाती थी, उनको शुद्ध पानी पिलाया जाता था। घर में पहली बनाई हुई रोटी देकर पुण्य कार्य किया जाता है, लेकिन वर्तमान में उन्हीं गौ-माताओं की दशा देखकर ऐसा लगता है कि यह कैसी विडंबना है जो गाय प्राचीन समय में पूजी जाती थी गौदान सर्वश्रेष्ठ एवं महत्वपूर्ण दान माना जाता था। आज गौवंश प्यास से तड़पते हुए गंदी नालियों के गंदे कीचड़ का पानी में मुंह मारते हैं और पानी पीने की कोशिश करते हैं लेकिन उसके वह गंदा पानी भी नसीब नहीं होता। गाय, बछड़े एवं सांड दिन-रात आंखों में आंसू भरकर पौष माह की पड़ने वाली शीतलहर एवं पाला के बीच में असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं, ना उनको खाने के लिए चारे की व्यवस्था है, और ना रहने के लिए आवास की व्यवस्था है। जब कभी यह पशु किसी के खेत में जाकर चरने लगते हैं तो उन पर कहर ढाया जाता है।जानकारी के अनुसार गाय व सांडो के नाक में लोहे के तार की नकेल डालकर, उनकी पूछ को जलाकर, शरीर पर विभिन्न प्रकार से चोट पहुंचाकर यातना दी जाती है। वही गौ-माता मुख्य बाजार में सड़कों के बीच पड़े हुए गंदे कचरे, प्लास्टिक की पन्नियों एवं चाय की पत्तियों को खाकर अपना जीवन यापन करते हैं, जिसके कारण कुछ समय बाद वह मौत के गले लग जाते हैं। इस गौवंश को स्थाई आवास उपलब्ध करवाने के लिए श्रीकृष्णा शिक्षा एवं ग्रामीण विकास समिति द्वारा आवाज उठाकर नारायणपुर तहसीलदार रामचंद्र गुर्जर द्वारा गौशालाओं में इन बेजुबान गौवंशो को भिजवाने के लिए आदेश किया गया था। लेकिन उसके बावजूद गौशालाओं की हठधर्मिता एवं ग्राम पंचायत तथा प्रशासन की मिलीभगत के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। जिसे लेकर ग्राम पंचायत नारायणपुर में प्रशासन गांव के संग अभियान के दौरान उपखंड अधिकारी रेणु मीणा को नियमो की पालना करवाने के लिए पत्र दिया गया जिसका उपखंड अधिकारी के द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। वही अलवर जिला कलेक्टर को भी इसके बारे में पत्र देकर अवगत करवाया गया। इतना होने के बावजूद भी आला अधिकारी अभी तक गहरी नींद में सोए हुए हैं। वहीं राजस्व विभाग के द्वारा 10% स्टांप ड्यूटी के नाम से कर लिया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि गौवंशो को गौशाला में पहुंचाने एवं उनकी सुरक्षा आवास चारे, पानी की व्यवस्था नहीं की जाती है तो 10% स्टांप ड्यूटी के नाम से राजस्व विभाग अवैध वसूली क्यों कर रहा है। यदि प्रशासन की अनदेखी लापरवाही के कारण ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन गाय, बछड़े एवं सांडों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

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