बामलास धाम में चल रही कथा में दूसरे दिन सुनाया भागवत की रचना और प्राकट्य प्रसंग
उदयपुरवाटी ( सुमेर सिंह राव )
निकटवर्ती गुढागोड़जी क्षेत्र के प्रसिद्ध प्राचीन वैष्णव संतो की तपोस्थली बामलास धाम में महंत लक्ष्मण दास महाराज के सानिध्य में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक सुशीलानंद द्वारा भागवत की रचना और प्राकट्य प्रसंग सुनाया गया। कथा में श्रृंगी ऋषि के द्वारा राजा परीक्षित को कलयुग के श्राप से तक्षक सर्प के डसने से 7 दिन में मृत्यु का श्राप तथा राजा का अन्य जल त्याग कर गंगा किनारे अनशन पर बैठना सुखदेव द्वारा राजा परीक्षित को भागवत का प्रवचन सुनाना तथा राजा परीक्षित के पूर्वजों के उद्धार की कथा सुनाई गई जिसमें धृतराष्ट्र और गांधारी के जीवन में अभिलाषा इच्छा इतनी जटिल होते हुए भी अपने भाई के बेटे पांडवों द्वारा वहीं पर रहकर उनकी सेवा लेना विदुर जी द्वारा उनको वन गमन करवाना कुंती माता के द्वारा भगवान का बार-बार वंदन करना और उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु पुत्र परीक्षित की रक्षा भगवान द्वारकाधीश के द्वारा करवाई गई। द्रोपती के द्वारा उत्तरा को उपदेश देना कि भगवान कृष्ण के अलावा इस संसार में कोई भी सहारा नहीं है यानी एक ही सहारा भगवान है सब के नाथ जगन्नाथ हैं। भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के अशांत मन को शांत करवाना धर्म की स्थापना आदि का वर्णन किया गया। बीच-बीच में भजनों की प्रस्तुति से श्रोता झूम उठे। आज की कथा के मुख्य यजमान गौरी शंकर शर्मा और मदनलाल बागोरिया रहे। महाआरती के पश्चात राधेश्याम स्वामी द्वारा उपस्थित भक्तों को फलाहार का प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान मदन बागोरिया, चतरु राम महरानियां, राजेश गोदारा, कैलाश शर्मा, सतवीर शर्मा, राजेश स्वामी, लाल सिंह शेखावत, विकास रेपसवाल, राम सिंह खरबास, कालूराम स्वामी, आनंद, रवि शर्मा गुढा, मदन सिंह शेखावत, लीलू राम खटीक सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।