सरकार पत्रकारों की समस्याओ को लेकर गंभीर नहीं:संकल्प में विकल्प नहीं होता
जेसीआई पत्रकारों की समस्याओ को शासन प्रशासन तक पहुचानें और पत्रकारों के हितार्थ कार्यों के लिए संकल्पित है।संकल्प में विकल्प नहीं होता।वर्तमान समय में पत्रकारों की समस्याओ से किसी को कोई सरोकार नहीं । सरकार पत्रकारों की समस्याओ को लेकर गंभीर दिखाई नहीं दे रही है देश मे सच को उजागर करने पर बौखलाये भ्रष्टाचारियों द्वारा आये दिन पत्रकारों की हत्यायें हो रही है लेकिन केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारे पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर चुप्पी साधे बैठी है। एक ओर सरकार सब कुछ डिजिटल करने पर जोर दे रही है वहीं दूसरी ओर डिजिटल मीडिया को रजिस्टर्ड मीडिया का दर्जा देने पर सरकार अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है।डिजिटल मीडिया पर कार्यवाही को लेकर सरकार लगातार दिशा-निर्देश बना रही है और उसमे सुधार भी कर रही है लेकिन डिजिटल मीडिया को रजिस्टर्ड मीडिया का दर्जा देने पर कार्यवाही नहीं कर रही है।देश का नौजवान मीडिया की ओर आकर्षित तो होता है लेकिन उसमे अपना भविष्य सुरक्षित नहीं पा रहा। यह विचार जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया रजिस्टर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ0 अनुराग सक्सेना ने पत्रकारों की एक गोष्ठी के दौरान रखे।
पत्रकारों की शैक्षिक योग्यता पर एक प्रश्न के जबाव में उन्होने कहा कि पत्रकारों की शैक्षिक योग्यता अभी तक सरकार की ओर से निर्धारित नहीं है ऐसे मे जो संस्थान नौजवानों को मीडिया का कोर्स करा रहे है उसका क्या औचित्य। लगातार बढ रही पत्रकारों की संख्या मे ऐसे भी लोग है जिनकी शैक्षिक योग्यता नगण्य है और उन्ही के कृत्यों से मीडिया परिवार पर उगंली उठती है समाज पत्रकार को पत्रकार के ही रूप मे देखता है। सरकार की जो भी योजनायें है उसका लाभ सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त पत्रकारों व श्रमजीवी पत्रकारों को ही मिलता है ऐसे में गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को कुछ नहीं मिलता क्योकि यदि सरकार आँकडे जुटाये तो मान्यताप्राप्त व श्रमजीवी पत्रकारों के ही आँकडे जुटा सकती है गैर मान्यताप्राप्त पत्रकारों की संख्या सरकार के पास नहीं है। ऐसे मे उन्हे कोई सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा सोचना बेईमानी होगा। गोष्ठी के दौरान अन्य पत्रकारों ने भी अपने विचार रखे।
- राकेश लखारा