कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में कोंग्रेस को जीत दिला सकते हैं ये 5 रास्ते

May 25, 2023 - 19:10
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कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में कोंग्रेस को जीत दिला सकते हैं ये 5 रास्ते
प्रतितात्मक फोटो

यपुर (राजस्थान) कांग्रेस ने कर्नाटक का किला फतह कर लिया है और अब बारी है राजस्थान की। कर्नाटक के जीत की वजहों की बात करें तो राहुल, प्रियंका, लोकल मुद्दे समेत एक बड़ा कारण रहा आंतरिक गुटबाजी को सही समय पर ठीक करना। कांग्रेस पूरे चुनाव में डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया को एक करने में कामयाब रही लेकिन, अब अगर कांग्रेस को राजस्थान को जीतना है तो गुटबाजी को खत्म करना पड़ेगा। राजस्थान चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, ऐसे में कांग्रेस के सामने गहलोत और पायलट की बीच के विवाद को खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन, राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसे 5 रास्ते हैं जो राजस्थान में कांग्रेस को जीत दिला सकते हैं।

पार्टी के भीतर गुटबाजी को शांत करना

पिछले पांच साल में गहलोत-पायलट के बीच विवाद ने कांग्रेस की पूरे देश में फजीहत कराई है. इसका बुरा असर कार्यकर्ताओं के अलावा जनता पर भी पड़ा है। ऐसे में दोनों को चुनाव पूर्व किसी भी तरह एक साथ लाना होगा, तभी जीत मिलने की संभावना है। गहलोत और पायलट दोनों के अनुभव को राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों मास लीडर हैं. गहलोत अनुभवी हैं तो पायलट युवा और मेहनती कार्यकर्ता हैं. दोनों की जनता के बीच मजबूत पकड़ है। ऐसे में पार्टी को दोनों को साथ लेकर चलना पड़ेगा क्योंकि कर्नाटक में कांग्रेस के लिए ये फायदेमंद साबित हुआ। पार्टी ने CLP की जिम्मेदारी सिद्धारमैया को दी तो डीके शिवकुमार को पीसीसी चीफ बनाया। दोनों के बीच बने सामंजस्य का फायदा चुनाव में हुआ। कार्यकर्ता एकजुट रहे और मिलकर प्रचार किया, जिसका नतीजा सबके सामने है। कुछ ऐसा ही, राजस्थान में करने की जरूरत है।

संगठन को मजबूत करना

राजस्थान में जीत के लिए कांग्रेस को अपने संगठन को मजबूत करना होगा। इसके लिए बूथ लेवल तक काम करने की जरूरत है. कर्नाटक में डीके शिवकुमार ने सबसे नीचे लेवल तक कार्यकर्ताओं को खड़ा किया, जिन्होंने लोगों के बीच जाकर बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया और उसका फायदा मिला।

राज्य नेतृत्व की मजबूती

कांग्रेस को राज्य नेतृत्व को मजबूत करने की जरूरत है। यानी गहलोत और पायलट के अलावा भी अनुभवी नेता और कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने चाहिए, जो पार्टी के साथ लंबे समय से खड़े हैं। इसके अलावा कर्नाटक की तर्ज पर लोकल मुद्दे को ही उठाना चाहिए। कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान ये कुछ ऐसे राज्य जहां हर साल पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन की रिवायत है। कर्नाटक में बीजेपी की सत्ता थी तो राजस्थान में कांग्रेस की। कर्नाटक में बीजेपी के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोप थे, तो राजस्थान में गहलोत पर कार्रवाई न करने के आरोप। ऐसे में पार्टी को ठोस रणनीति बनाकर इस पर काम करना होगा, तभी जीत संभव है

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