देखदेख के अभाव में ऐतिहासिक धरोहरों हुई जर्जर और बदहाल: जन प्रतिनिधियों और सरकार के मंत्रियों का नही कोई ध्यान

Aug 26, 2022 - 03:48
Aug 26, 2022 - 03:57
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देखदेख के अभाव में ऐतिहासिक धरोहरों हुई जर्जर और बदहाल: जन प्रतिनिधियों और सरकार के मंत्रियों का नही कोई ध्यान

वैर (भरतपुर, राजस्थान/ कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) भरतपुर जिले में राजाओं के रजवाड़ों की रियासत काल में बने किले महल बाबड़ी राज्य सरकार के जिम्मेदार अधिकारी और जन प्रतिं निधियों की अनदेखी के कारण बदहाल स्थिति में है। राजस्थान सरकार में भरतपुर जिले के चार चार मंत्री है फिर भी भरतपुर जिले के वैर और बयाना में ऐतिहासिक धरोहरों की कोई सुध नहीं ली गई है यदि समय रहते हुए राज्य सरकार और राज्य सरकार के अंदर मंत्री बने बैठे है । इन धरोहरों की कोई सुध नहीं ली गई तो आने वाले समय में खंडर ऐतिहासिक धरोहर जमीजोद हो जायेगी। जिनका कोई नामोनिशान भी नही रहेगा। 
पूर्वी राजस्थान में रहे शासक भरतपुर के महाराजा सूरजमल के चाचा ठाकुर अतिराम सिंह ने एन एच 21जयपुर भरतपुर पर स्थित कस्वा हलैना में साल 1702 में रहने के लिए 12 फ़ीट ऊन्चे मिट्टी के परकोटा पर पांच मन्जिला अतिराम महल और ट्राम सागर  को बनाया था ।

रियासत काल में राजा महाराजाओं के समय में बनाए गए अतराम सागर और अतराम महल एक ऐतिहासिक धरोहर की इस समय कोई देखरेख नही की जाने के कारण बदहाल और जर्जर हालत में जा चुकी है, हलैना के अन्तिम जहागीरदार ठाकुर पूरनसिंह ने महल को राउमावि को दान में दिया था | जिसमे विधालय संचालित है सरकार की ओर से जर्जर हालत में पड़े इस महल की कोई सुध नहीं ली गई है। हलैना का अतराम सागर कूड़ा घर बना हुआ है । भरतपुर के राजा बदन सिंह ने अपने छोटे भाई प्रताप सिंह के नाम वैर इलाके को 1702 में वैर को उनके नाम जागीरदारी के रूप में दिया और उनके नाम पर प्रताप किला प्रताप नहर प्रताप फूलबाड़ी  नौ लक्खा बाग बनाया गया। जिनकी बदहाल हालत है ।
हम आपको बता देना चाहते है की भरतपुर जिले में ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है जो पुरातत्व और पर्यटन विभाग के लिए अहम है। कस्वा वैर की प्रताप फुलवाड़ी प्रताप नहर बदहाल है सरकार की ओर से पूर्व में प्रताप फुलबाड़ी में विकास कार्य कराया लेकिन कुछ समाज कंटकों ने प्रताप फुलवाड़ी में नुकसान पहुंचाया गया । जिनमे वैर के पास रायपुर की पहाड़ी की गुफा पहाड़ पर बने हाथोडी बल्लभगढ़ का किला बल्लभगढ़ निठार अलीपुर वैर की बावड़ी किला सीता कुंड सलेमपुर कला की हवेली दीवली की हवेली ये सभी रियासत काल में भरतपुर के शासकों ने बनाई थी । ये वर्तमान समय में राज्य सरकार के पुरातत्व पर्यटन विभाग के मानचित्र से गायब है।

जबकि दर्शननीय स्थानों में ये ऐतिहासिक धरोहरों को राज्य सरकार की ओर से अपने पर्यटन के नक्शे में शामिल किया जाना चाहिए । जिससे राज्य सरकार की आय में भी वृद्धि होगी ।
हालांकि इन ऐतिहासिक धरोहरों को देखने के लिए दूर दूर से देखने के लिए व्यक्ति आते है लेकिन इनकी बदहाली को देख कर लोगो का कहना होता है की भरतपुर जिले में चार चार मंत्री होने के बाबजूद भी रियासत काल में बनी ऐतिहासिक धरोहरों की कोई सुध नहीं ली जा रही है।
भरतपुर जिले में वैर उपखंड ही नही जिले में कई ऐसे दर्शनीय स्थल और किले है जो सरकारी जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण बदहाल स्थिति में जा चुके है। लोगो ने बताया की वैर और बयाना में दमदमे की पहाड़ी पर बना हुआ है ऐतिहासिक किला है  वर्तमान सरकार की ओर से इन धरोहरों की कोई कदर नही की जा रही है।

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