अब मानसून की बेरूखी से हुआ अन्नदाता निराश, सरकारी सहायता की दरकार

ज्वार बाजरा की फसलो में भारी नुकसान से किसान परेशान

Sep 24, 2020 - 02:29
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अब मानसून की बेरूखी से हुआ अन्नदाता निराश, सरकारी सहायता की दरकार

भरतपुर,राजस्थान 
बयाना, (23 सितम्बर) कुछ समय पहले तक अपने खेतो में लहलहा रही फसलो को देखकर फूला नही समा रहा किसान अब अपने खेतो मे फसलो की बर्बादी को देखकर परेशान है वह इन फसलो को देखकर खून के आंसू रोने को मजबूर है।  लेकिन इस अन्नदाता की दुखती नब्ज को सहलाने अभी तक कोई भी आगे नही आ सका है। जबकि ऐसी स्थिति में इन अन्नदाताओ को सरकारी सहायता की दरकार है।केंद्र सरकार की ओर से किसान रूपी अन्नदाता के लिए कही जाने वाली बड़ी बड़ी बातें भी अब केवल छलावा व दिखावा जैसी लग रही है। किसानो की माने तो कीट रोगो व फफुंदी रोगो के चलते उनके खेतो में खडी ज्वार बाजरा तिली व ग्वार आदि की फसले बुरी तरह बर्बाद हो सकी है। अब उनके सामने अपने परिवार के पालन पोषण सहित अपने पालतु व दूधारू पशुओ के लिऐ अन्न व चारे की समस्या भी खडी हो गई है। कृषक ब्रजेन्द्र मवई ने बताया कि ज्वार व बाजरे की फसल में 50 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है व तिली की फसल लगभग पूरी तरह बर्बाद हो गई है। जबकि कृषि विभाग यह नुकसान काफी कम बता रहा है। किसानो की माने तो इस बार टिडडी के हमलो के बाद अब पककर तैयार हुई ज्वार बाजरे की फसलो में गिनार व सफेद लट लग जाने से तथा तिली में फफुदी जैसा रोग लग जाने से बडी तादाद में नुकसान हुआ है। जिससे किसानो की आर्थिक स्थिति पर काफी विपरीत असर पडेगा। कृषक निहालसिहं,व  लक्मनसिहं गुर्जर ने बताया कि खरीफ की यह फसले अच्छी हो जाती है तो किसानो व पशु पालको के लिऐ 6 माह तक के लिऐ घरेलू राशन व पशु चारे के साथ साथ अन्य घरेलू खर्चाे की व्यवस्था भी हो जाती है। और उनके परिवार के पालन पोषण की व्यवस्था सही बनी रहती है किन्तु इस बार अन्तिम समय में खरीफ सीजन की ज्वार बाजरा ग्वार तिली आदि की फसलो में पहले टिडडी की अब कीट व फफुंदी मार के चलते किसानो के सामने अपने परिवार के पालन पोषण के लिऐ  अनाज व पशुओ के चारे की समस्या के साथ ही परिवार के नियमित खर्चाे की आपूर्ति व्यवस्था की भी समस्या खडी हो गई है। क    ृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बयाना तहसील क्षेत्र में इस बार खरीफ की फसल के रूप में बाजरा की बुबाई करीब 25 हजार हेक्टयर, ज्वार 10 हजार हेक्टयेर तथा तिली व ग्वार 8 से 10 हजार हेक्टयर की बुबाई की गई थी। जबकि बयाना कृषि खण्ड के अन्तर्गत वैर भुसावर रूपवास व बयाना क्षेत्र मे कुल बाजरा की बुबाई करीब 63 हजार हेक्टयेर ज्वार करीब 16 हजार हेक्टयर ग्वार व तिली 10 से 12 हजार हेक्टयर मे बुबाई की गई थी। यह बुबाई 20 जून से 30 जुलाई तक की गई । इन फसलो की अब कटाई शुरू हो चुकी है। जो पूरे अक्टूबर महीने चलेगी। कृषि विभाग की माने तो ज्वार बाजरा की अगेती फसल काफी अच्छी है। उसमें कोई नुकसान नही है। पिछाई फसल में लट व गिनार व फफुदीं रोग लग जाने से 10 से 20 प्रतिशत तक नुकसान है कुछ इलाको में यह प्रकोप ज्यादा भी बताया है। अगर सब कुछ ठीक ठाक हो तो बाजरा की पैदावर 8 से 12 मन प्रति बीघा होती है। इसके अलावा कुटटी व करव के रूप में पशुओ को चारे की भी व्यवस्था हो जाती है। जो सर्दीयो के मौसम में पालतु व दूधारू पशुओ के लिऐ काफी पोष्टिक व लाभदायक होता है। किसानो व कृषि अधिकारियो ने बताया कि इस समय खेतो के लिऐ बरसात की खास जरूरत है। अगर अब बरसात हो जाती है तो खरीफ की फसल मे लगा कीट रोग समाप्त होगा। व आगामी रबी की फसल के लिऐ खेतो की जुताई बुबाई के लिऐ तैयारी करने मे भी काफी सहायक व लाभदाय सिद्व होगी। किन्तु मानसून के अन्त में इन्द्रदेव की बेरूखी देखकर किसान काफी निराश है। 

  • संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट 

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