अणुव्रत से हिंसा व असंयम का अंधकार किया जा सकता है दूर : कर्णावट

अणुव्रत आंदोलन मानव धर्म का आंदोलन है-राष्ट्रीय अध्यक्ष संचेती

Jan 1, 2022 - 15:11
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अणुव्रत से हिंसा व असंयम का अंधकार किया जा सकता है दूर : कर्णावट
शाहपुरा में अणुव्रत समिति के तत्वावधान में प्रबुद्व नागरिक सम्मेलन संपन्न

शाहपुरा (भीलवाड़ा, राजस्थान/ बृजेश शर्मा)अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री ध्यान साधक मुनि सुरेश कुमार हरनावां सहवर्ती मुनि संबोध कुमार मेधांश के सानिध्य में शुक्रवार को लाड़ स्वाध्याय भवन में प्रबुद्व नागरिक सम्मेलन का आयोजन संपन्न हुआ।
अणुव्रत विश्व भारती (अणुविभा) के परामर्श मण्डल सदस्य एवं अणुव्रत प्रवक्ता डॉ. महेंद्र कर्णावट, अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संचय जैन, अणुव्रत समिति के मार्गदर्शक लक्ष्मीलाल गांधी की मौजूदगी में आयोजित सम्मेलन में अणुव्रत के दर्शन, विश्व की समस्याओं के समाधान में अणुव्रत आंदोलन की उपादेयता, नैतिक मूल्यों की स्थापना, संस्कार निर्माण के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।
अणुव्रत प्रवक्ता डॉ. महेंद्र कर्णावट ने अणुव्रत दर्शन पर विवचेन रखते हुए कहा कि कषाय हिंसा का मुख्य कारण है। व्यक्ति काम व क्रोध की वृत्ति के कारण हिंसा करता है। भुखमरी भी आदमी से पाप करवा देती है। व्यक्ति परिग्रह, अर्थ व काम के लिए हिंसा करता है। दुनिया में हिंसा व असंयम का अंधकार फैला हुआ है, अणुव्रत का दीपक जला इस अंधकार को दूर किया जा सकता है। डा. कर्णावट ने कहा कि जीवन में सत्य, ईमान, अणुव्रतों के आदेशों को जीएं। अणुव्रत के विचार हर किसी के लिए उपयोगी है। अणुव्रत दर्शन हर दर्शन के लिए उपयोगी है। इसमें सभी संप्रदायों का समावेश हो जाता है। अणुव्रत की उपयोगिता सर्वत्रोग्राही है। 
डॉ. महेंद्र कर्णावट ने बताया कि आचार्य महाश्रमण अणुव्रत आंदोलन को अपना आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। वे अहिंसा यात्रा के रूप में नैतिक चेतना, सद्भावना और नशा मुक्ति के तीन उद्देश्य को लेकर देश भर की पदयात्रा कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 52 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर एक ऐतिहासिक मुकाम भी हासिल किया है। अब तक उनकी पदयात्रा देश के 23 राज्यों के अतिरिक्त नेपाल और भूटान में भी विभिन्न धर्म, जाति और संप्रदाय के लाखों लोगों को लाभान्वित कर चुकी है। डॉ. कर्नावट ने बताया कि आचार्य श्री का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति अणुव्रत के 3 संकल्पों से अपने आप को आत्मसात कर ले तो, इससे हर व्यक्ति का जीवन तो सुखी बनेगा आदर्श समाज की रचना का मार्ग भी प्रशस्त होगा.
अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संचय जैन ने कहा कि अणुव्रत जीवन की आचार संहिता है। आचार्य तुलसी ने इस आंदोलन का सूत्रपात किया था। जैन आगमों में अणुव्रत और महाव्रत के रूप में व्रतों का निरूपण है। अणुव्रत का मतलब होता है छोटे-छोटे संकल्प। जिनका पालन मानव अपने जीवन में कर सकता है। इस आंदोलन का सूत्रपात उन संकल्पों के साथ हुआ जो आज भी न केवल अपनी प्रासंगिकता बनाये है बल्कि अपने प्रभाव को भी अक्षुण्ण रखे हुए है। ये 11 सूत्र या नियम अणुव्रत आंदोलन के मूल है, जिनका राष्ट्र संत आचार्य श्री तुलसी ने आचार संहिता के रूप में प्रतिपादन किया
यह सामाजिक क्रान्ति का आंदोलन है और एक प्रकार से मानवीय आचार संहिता है। अणुव्रत आंदोलन मानव धर्म का आंदोलन है। इसका आधार है- संयमः खलु जीवनम्। संयम का आलोक दिखाने वाला यह अणुव्रत आंदोलन सभी के लिए सुलभ और सुगम है। विद्यार्थी, व्यापारी, वकील, अध्यापक, नेता, डॉक्टर, साधु संन्यासी, अधिकारी, मजदूर, किसान सभी अणुव्रत आंदोलन के पथिक बनकर अपने तथा समाज के उत्थान में सहायक बन सकते है।
मुनि संबोध कुमार मेधांश ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन नैतिक मूल्यों का दस्तावेज है। जिसमें मानवता का कल्याण सन्निहित है यह एक व्यापक दृष्टि है सबको जोड़ने की और एक साथ लेकर चलने की क्षमता इस आंदोलन में है। यही उदारवादी दृष्टिकोण सामने देखकर सभी धर्मों सम्प्रदायों के लोगों ने आचार्य श्री तुलसी के निर्दिष्ट मार्ग का अनुसरण किया और करोड़ों की संख्या में अणुव्रती बन गये। अणुव्रत आंदोलन मनुष्य में नैतिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का विकास सौपान है। इसमें मनुष्य, कुटुम्ब, राष्ट्र, सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान का संबल निहित है। इस प्रकार अणुव्रत आंदोलन धर्म निरपेक्ष और मानव जाति का उत्थान करने वाला आंदोलन है।
मुनि सुरेश कुमार हरनावां ने कहा कि कि मानवीय मूल्यों पर आधारित अनुरोध का दर्शन जीवन के हर पहलू को छूता है। अणुव्रत एक संपूर्ण जीवन शैली है। यह अहिंसक और संयम प्रधान जीवन शैली है, जो उपभोग वाली जीवनशैली का एक बेहतरीन विकल्प है। आज के समय में परिवार के लोग मोबाइल और इंटरनेट के जरिए करते जा रहे हैं। ऐसे में भौतिक विद्या विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास का सहज और सरल तरीका अनुव्रत ही जाता है। उन्होंने बताया कि 1 मार्च 1950 को अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन का उद्देश्य किसी धर्म विशेष से ना होकर बल्कि मानव समाज के कल्याण की कामना को लेकर इसका आगाज किया गया था।
अणुव्रत समिति के मार्गदर्शक लक्ष्मीलाल गांधी ने शाहपुरा समिति के तत्वावधान में मुनिद्वय के प्रवास को सराहनीय बताते हुए कहा कि इसका लाभ समूचे शाहपुरा को मिलेगा। शुरूआत में अणुव्रत समिति के अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने सभी का स्वागत किया। मंत्री गोपाल पंचोली ने सभी का आभार ज्ञापित किया, कार्यक्रम में अणुव्रत समिति के अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय तथा शिक्षाविद विष्णु दत्त शर्मा ने अपनी पुस्तके अतिथियों व मुनि श्री को भेंट की।

 

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