नवरात्रि आज हुई घट स्थापना
लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) नवरात्रि सनातन धर्म में देवी की पूजा आराधना का एक बड़ा महापर्व है। दसवें दिन पूर्णाहुति तक देवी की पूजा चलती है। जो कि दशांश हवन के साथ दसवें दिन पूरी होती है। इसलिए नवरात्रि में शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कस्बे सहित उपखंड क्षेत्र में देवी उपासको के द्वारा की गई है।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार का कहना है कि पूजा आराधना के साथ घटस्थापना करने का अभिप्राय यही है कि इसमें सभी देवी-देवताओं, ग्रहों व नक्षत्रों का आह्वान करने से उनका वास इसमें होता है। कलश को सभी मंगल कार्य का प्रतीक माना जाता है। पूजा आराधना करने से पहले घट स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। नवरात्र में घटस्थापना करते समय सभी देवी शक्तियों का आह्वान किया जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। और सभी तरह का नकारात्मक माहौल दूर होता है।
घट पूजन की भी एक प्रक्रिया होती है। शास्त्र अनुसार उसका पालन करना चाहिए। आज घटस्थापना के दिन सबसे पहले इसकी स्थापना की गई। शास्त्रों में स्वर्ण, रजत, ताम्र कलश और मिट्टी के घट का महत्व बताया गया है। सप्तधान के मिश्रित रूप को घट के ऊपर स्थापित किया गया। सप्तधान में जौ, तिल, कंगनी मूंग, चना, सावा होता है।इसके अलावा पंचरत्न सोना, हीरा, नीलम और पंच पल्लव यानी की 5 तरह के पत्ते जिसमें बरगद, पीपल, आम, पाकड़ और गूलर के पत्ते कलश में नारियल के साथ रखे जाते हैं। इसके साथ ही सात द्वीप, प्रमुख नदियों, सात समुद्रों के जल का भी आह्वान घट में समाहित होने के लिए किया जाता है।
- कमलेश जैन