26 जून से गुप्त नवरात्र का आरंभ,मां शैलपुत्री की होगी पूजा

लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) कमलेश जैन
आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 26 जून गुरुवार को आर्द्रा नक्षत्र व ध्रुव व सर्वार्थ सिद्धि योग में गुप्त नवरात्र कलश स्थापना के साथ आरंभ होगा। पांच जुलाई शनिवार को विजया दशमी तिथि के साथ नवरात्र का समापन होगा। नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालु विधि-विधान के साथ मां शैलपुत्री की पूजा करेंगे। इस दौरान हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होगी।
श्रद्धालु निराहार या फलाहार रह कर मां की आराधना में लीन रहेंगे। नवरात्र के मौके पर घरों व देवी मंदिरों में अखंड दीप जलाकर श्रद्धालु मां की उपासना करेंगे। गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना की प्रधानता होती है। नवरात्र में मां कामाख्या की पूजा विशेष तौर पर होती है।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने धार्मिक ग्रंथ शिव पुराण का हवाला देते हुए बताया कि आषाढ़ मास के देवता इंद्र और महाकाली हैं। यह मास प्रकृति को अपने गोद में लिए होती है। इसमें वर्षा की प्रधानता रहती है। आषाढ़ मास में शक्ति पूजन की परंपरा रही है। दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा कवच, दुर्गा शतनाम का पाठ करने से घरों में सुख-समृद्धि का वास होने के साथ मन निर्मल होता है।
10 महाविद्या का होता है पूजन:-
गुप्त नवरात्र में दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिए साधक 10 महा विद्याओं में महाकाली, तारा, ललिता, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, छिन्मस्तिका, भैरवी, बगलामुखी, माता कमला, मातंगी देवी की साधना विधि-विधान के साथ करते हैं।
इसके अलावा, मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री माता की पूजन का विधान है। गुप्त नवरात्र में विधि-विधान के साथ व्रत और साधना करते हैं। जगदंबा के पूजन, हवन,रोग-शोक को नाश करता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:-
प्रतिपदा तिथि: दोपहर 02:29 बजे तक
शुभ मुहूर्त: प्रातः 05:02 बजे से 06:45 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:25 बजे से 12:20 बजे तक
चर मुहूर्त: सुबह 10:10 बजे से 11:52 बजे तक
लाभ मुहूर्त: दोपहर 11:52 बजे से 01:35 बजे तक
अमृत मुहूर्त: दोपहर 01:35 बजे से 03:18 बजे तक रहेगा।






