विदेशी लकड़ी व टाइल्स से बना राजशाही जमाने की शान शिकारगाह अब खंडहर में तब्दील

शिकारगाह या चमकता महल, बन गया खंडहर प्रशासन ने नहीं ली सुध

Feb 6, 2022 - 02:13
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विदेशी लकड़ी व टाइल्स से बना राजशाही जमाने की शान शिकारगाह अब खंडहर में तब्दील
विदेशी लकड़ी व टाइल्स से बना राजशाही जमाने की शान शिकारगाह अब खंडहर में तब्दील
विदेशी लकड़ी व टाइल्स से बना राजशाही जमाने की शान शिकारगाह अब खंडहर में तब्दील
विदेशी लकड़ी व टाइल्स से बना राजशाही जमाने की शान शिकारगाह अब खंडहर में तब्दील
विदेशी लकड़ी व टाइल्स से बना राजशाही जमाने की शान शिकारगाह अब खंडहर में तब्दील

बहरोड़ (अलवर, राजस्थान/ सुनिल जलिन्द्रा) क्षेत्र के बहरोड़-अलवर मार्ग पर स्थित नंगला रुद्ध में एक शिकारगाह बना हुआ है। यह शिकारगाह कभी चमचमाता हुआ महल हुआ करता था लेकि अब वक्त ने इसे खंडहर का रूप दे दिया है। मौजूदा सरकार एवम् प्रशासन ने एक बार भी इसकी सुध तक नहीं ली। आज भी यह शिकारगाह अपनी बदहाली के आसु रो रहा है। यह महल कभी 

  • राजा-महाराजाओं के विश्राम व आमोद-प्रमोद के रूप मे लिया जाता था उपयोग

राजा-महाराजा अपने मेहमानों को लेकर इस महल में आते थे और कुछ दिन के लिए यहां आकर ठहरते थे। लेकिन आज उसकी हालात खंडर के रूप में बदल गई है।
इस महल के बारे में जब ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया की इस शिकारगाह में करीब 13 बीघा जमीन है। जिस पर ग्रामीणों ने कब्ज़ा कर शिकारगाह की रौनक को बद से बदतर कर दिया है। बुजुर्ग बताते है की उस समय यहां बहुत ही रौनक रहती थी। वही जब राजा इस महल में आते थे तो आसपास के ग्रामीण इस महल में आते और अपने करतब राजा को दिखाते थे। ग्रामीणों द्वारा दिखाए करतबो से खुश होकर राजा ग्रामीणों को पारितोषिक देते थे। लेकिन अब सब खण्डहर हो चुका है। उस जमाने मे भी इटली व फ्रांस के पत्थरों से बने भवन को देखने कुछ साल पहले तक तो सैलानी यहां पहुंचते थे, लेकिन आज हालात ने इस शिकारगाह को अनाथ सा बना दिया है।
असामाजिक तत्वों ने इस महल की बेशकीमती लकडिय़ों से बने दरवाजे व खिड़कियां भी चुरा ली। इस महल का निर्माण राजा जयसिंह ने 20वीं सदी के प्रारंभ में बर्डोद रूंध स्थित छोटी पहाड़ी पर इसका निर्माण करवाया था। इसके निर्माण में विदेशी पत्थरों के साथ - साथ विदेशी इमारती लकड़ी और टाइल्स भी लगवाााई थी जो पहले कहीं देखने को भी नहीं मिलती थी। वही जयपुर की तर्ज पर इस शिकारगाह पर भी गुलाबी रंग करवाया था। इस महल के चारों तरफ फैली हरियाली व पेड़ इस महल पर चार चांद लगाते थे। कुछ दिनों के लिए शिकार के लिए पहुंचने वाले राजा-रानियों को भी यहां का माहौल बहुत लुभाता था। वही इस महल के निर्माण के दौरान सेवको का भी विशेष ध्यान रखा गया था। शिकारगाह के नीचे राजा के सेवकों के ठहरने के लिए कमरे बने हुए थे। फ़्रांश की तर्ज पर निर्मित इस शिकारगाह को निहारने के लिए कुछ साल पहले तक कुछ सैलानी यहां पहुंचते थे, लेकिन इसकी दुर्दशा को देखकर सैलानियों ने भी आना बंद कर दिया है। यहा हम आपको बता दे कि शिकारगाह में करीब एक दर्जन कमरे और हाल निर्मित है, लेकिन असामाजिक तत्वों ने न तो दरवाजे व खिड़कियां छोड़ी और न ही अन्य विदेशी आलमारियां।

  • विरासत से जुड़े है रोचक किस्से

पूर्व सरपंच सुनील भारद्वाज सहित ग्रामीणों ने बताया कि उनके बुजुर्ग किस्सा सुनाते थे कि अलवर के राजा की रिश्तेदार भुआ नीमराणा महल में रहती थी। एक बार राजा ने संदेश भिजवाया कि रानी शिकारगाह में मिलना चाहती है, लेकिन भुआ ने दुबारा संदेश भिजवाया कि वह शिकारगाह जैसी छोटी जगह पर मिलने नहीं आएगी। इस बात पर राजा ने शिकारगाह पर एक विदेशी लाइट लगवाई, जिसकी रोशनी सीधी नीमराणा के महल पर पड़ी जिससे नीमराणा का महल विदेशी लाइट की रोशनी से जगमगा उठा था। इस बात से खुश होकर भुआ रानी से मिलने शिकारगाह पहुंची। यह किस्सा आज भी लोगों की जुबां पर है।

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